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आरटीआइ का सहारा ले करोड़ों का घपला किया उजागर

सूचना का अधिकार एक ऐसा अधिकार है जिसके माध्यम से लोगों को इंसाफ भी दिलाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:43 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:15 AM (IST)
आरटीआइ का सहारा ले करोड़ों का घपला किया उजागर
आरटीआइ का सहारा ले करोड़ों का घपला किया उजागर

कुलदीप जिदल, गिद्दड़बाहा (श्री मुक्तसर साहिब) : सूचना का अधिकार एक ऐसा अधिकार है जिसके माध्यम से लोगों को इंसाफ भी दिलाया जा सकता है। लेकिन इसका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। भले ही कुछ लोग इसे निजी हितों के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन वह सही नहीं है। जो लोग इसे सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं वह लोगों के लिए एक मसीहा के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं गिद्दड़बाहा के नवीन कुमार। जोकि बीते दो वर्ष से आरटीआइ का सहारा लेकर लोगों को काम करवाने में लगे हुए हैं। उन्होंने आरटीआइ से ही करोड़ों रुपये का घपला उजागर कर गरीबों को उनका हक दिलाने में भूमिका अदा की है। हालांकि अभी भी इस मामले में जांच जारी है।

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एक दर्जन के करीब गांवों में हो रही थी घपलेबाजी

नवीन कुमार बताते हैं कि उन्हें जब पता चला कि गांवों में मनरेगा के कार्य में घपला हो रहा है और मरे हुए लोगों के नाम से ही पैसे खाए जा रहे हैं। जिस पर उसने सूचना के अधिकार से जानकारी हासिल की। जिसमें उसने पता चला कि गूड़ी संघर, छत्तेआणा, भलाईआणा, कोटभाई, कौणी, गुरुसर समेत अन्य गांवों में किस व्यक्ति के खाते में कितने पैसे डाले हैं और कैसे घपला हुआ है। जिसकी उसने शिकायत उच्चाधिकारियों को कर दी। इस मामले में ही बाद में दो अधिकारियों भी सस्पेंड कर दिया गया था। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने काम तो किया लेकिन उनके पैसे कोई और भी डकार गया था। इसका भी खुलासा हुआ है।

अकसर ही आती है अड़चनें

नवीन कुमार के अनुसार इस कार्य में अचड़नें भी बहुत अधिक आती हैं। क्योंकि जब आरटीआइ डाली जाती है तो घपला करने वाले अधिकारी 30 दिन में इसकी जानकारी ही नहीं देते। उसके बाद इस संबंध में अपील भी दायर की जाती है। तब भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। कमिश्नर की ओर से आदेश देने के बावजूद यह कुछ नहीं करते हैं। जानकारी तो देते हैं लेकिन उसमें भी शिकायतकर्ता को ही परेशान किया जाता है।


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