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मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

मकर संक्रांति पर श्री मुक्तसर साहिब में लगने वाले माघी मेले में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में भी यह पर्व श्रद्धा से मनाया जा रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 14 Jan 2017 11:31 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jan 2017 11:37 AM (IST)
मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

जेएनएन, श्री मुक्तसर साहिब। मकर संक्रांति का पर्व पंजाबभर में श्रद्धा से मनाया जा रहा है। राज्य के प्रमुख सरोवरों में श्रद्धालु सुबह से ही आस्था की डुबकी लगा रहे हैैं। गुरु गोबिंद सिंह जी के चालीस सिंहों की याद श्री मुक्तसर साहिब में सबसे ज्यादा श्रद्धालु उमड़े हैैं। इसके अलावा अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब में भी सुबह से ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैैं।

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श्री मुक्तसर साहिब में ऐतिहासिक मेला माघी के मौके पर लाखों श्रद्धालु गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब पहुंचकर चालीस सिंहों को नमन कर रहे हैैं। सुबह से ही यहां श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गए थे। श्रद्धालुओं ने सुबह कड़ाके की ठंड में आस्था की डुबकी लगाई और श्री गुरु ग्र्रंथ साहिब के आगे नतमस्तक हुए। इसके अलावा भाई महा सिंह दीवान हाल में धार्मिक दीवान सजाए गए। जहां पर विभिन्न रागी जत्थों ने संगत को गुरु जस गायन करवाकर निहाल किया। यह धार्मिक कार्यक्रम 15 जनवरी तक निरंतर जारी रहेंगे।

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उल्लेखनीय है कि जिस स्थान पर गुरू गोबिंद सिंह जी ने चालीस सिंहों का अपने हाथों बेदावा (लिखित पत्र) फाड़कर उनसे टूटी गांठी थी। उस स्थान पर आज गुरुद्वारा श्री टुट्टी गंढी साहिब (गुरुद्वारा दरबार साहिब) सुशोभित है।

उधर, मेला माघी को लेकर मलोट रोड पर मेला भी सजा हुआ है। मेला ग्राऊंड में बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न झूले, सर्कस, मौत का कुंआ, गेमस स्टॉलें, जादू के शो आदि लगे हुए हैैं। मेले तथा नगर कीर्तन के दौरान निहंग-सिंहों के हैरतअंगेज करतब देखने लायक थे।

इस बार नहीं हुआ राजनीतिक दंगल

इस बार विधान सभा चुनाव के चलते चुनाव आचार संहिता लगी हुई है। इस कारण सियासी पार्टियां राजनीतिक कांफ्रेंस भी नहीं कर रही हैं। जिस कारण माहौल कुछ फीका भी रहेगा। पहले मेला माघी को सबसे बड़ा राजनीतिक स्थल माना जाता था। जहां पर हर एक राजनीतिक पार्टी कांफ्रेंस करती थी और कांफ्रेंस में इक्ट्ठ बढ़ाने के लिए राजनीतिक पार्टियां लोगों को अपने वाहनों पर लेकर आती थीं।

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