सुखी होना है तो दूसरों को न पहुंचाएं दुख : स्वामी दिव्यानंद
मनुष्य अगर खुद सुखी होना चाहता है तो उसे दूसरों को भी सुख देना होगा। अगर मनुष्य दूसरों को दुख पहुंचाए और खुद सुख की कामना करे तो उसे सुख कदापि नहीं मिल सकता। ये विचार स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने अबोहर रोड स्थित श्री मोहन जगदीश्वर दिव्य आश्रम में आयोजित सत्संग कार्यक्रम के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि आज संसार में हर प्राणी सुख की तलाश में है परंतु उसे फिर भी सुख नसीब न
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
मनुष्य अगर खुद सुखी होना चाहता है तो उसे दूसरों को भी सुख देना होगा। अगर मनुष्य दूसरों को दुख पहुंचाए और खुद सुख की कामना करे तो उसे सुख कदापि नहीं मिल सकता। ये विचार स्वामी दिव्यानंद गिरि ने अबोहर रोड स्थित श्री मोहन जगदीश्वर दिव्य आश्रम में आयोजित सत्संग कार्यक्रम के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि आज संसार में हर प्राणी सुख की तलाश में है परंतु उसे फिर भी सुख नसीब नहीं होता। इसका एक ही कारण है मनुष्य की कपटवृति। मनुष्य चाहे गंगा जी में स्नान कर ले। चाहे मंदिर में जाकर नाम सिमरन कर ले, जब तक उसकी आत्मा पवित्र नहीं होगी तब तक जीवन का कल्याण नहीं होगा और न ही उसे सुख की अनुभूति होगी।
मनुष्य जैसे कर्म करेगा उसका वैसा ही फल मिलेगा। अर्थात जैसे बीज बोओगे वैसा फल पाओगे।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप