सतगुरु दिखाता है सही रास्ता : वसुधा भारती
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गली नंबर तीन विशाल नगर श्री मुक्तसर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी वसुधा भारती जी ने कहा कि जैसे एक रोगी व्यक्ति को कुछ भी खाने को दो उसे वह कड़वा ही लगता है। क्योंकि उसे रोग लगा है। इसी प्रकार इस संसार के लोगों को भी विषय विकारों का रोग लगा है । इसलिए उन्हें प्रभु कीर्तन अच्छा नहीं लगता। वह संसार में इस तरह से लिप्त हो चुके है कि उन्हें संसार ही सब कुछ लगता है। परंतु
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गली नंबर तीन विशाल नगर श्री मुक्तसर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वसुधा भारती ने कहा कि जैसे एक रोगी व्यक्ति को कुछ भी खाने को दो उसे वह कड़वा ही लगता है क्योंकि उसे रोग लगा है। इसी प्रकार इस संसार के लोगों को भी विषय विकारों का रोग लगा है इसलिए उन्हें प्रभु कीर्तन अच्छा नहीं लगता। वह संसार में इस तरह से लिप्त हो चुके है कि उन्हें संसार ही सब कुछ लगता है।
ये संसार तो एक कुसुम के फूल की तरह है। जैसे कुसुम के फूल को हम स्पर्श करते हैं तो उसका रंग हमारे हाथों पर चढ़ जाता है लेकिन वह रंग इतना कच्चा होता है कि पानी से ही छूट जाता है। इसी प्रकार संसार का रंग भी कच्चा है मृत्यु रूपी पानी से यह संसार का रंग भी छूट जाएगा। लेकिन प्रभु का रंग पक्का रंग है जो कभी नहीं छूटता।
साध्वी जी ने कहा कि आज युवा पीढ़ी जो देश की रीढ़ है गलत राह पर चल रही है। हम अपने क्रांतिकारियों को देखें वह भी युवा थे। लेकिन उन्होंने शराब का नहीं देशभक्ति का नशा किया और देश को अंग्रेजों से आजाद करवाया। जरूरत है हमारी युवा पीढ़ी को सही दिशा में चलने की ओर। यह सही दिशा कौन प्रदान कर सकते है एक पूर्ण सतगुरु। क्योकि कोई भी समस्या का अधिकतर मन होता है और मन को नियत्रण करने की पद्धति है ब्रह्मज्ञान जो कि एक पूर्ण सतगुरु के द्वारा ही संभव है।