सफलता की मंजिल का पड़ाव है असफलता : कमलानंद गिरि
श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 100
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि का अबोहर रोड स्थित श्री मोहन जगदीश्वर दिव्य आश्रम पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने भव्य अभिनंदन किया। स्वामी जी अपनी शिष्य मंडली सहित आश्रम पहुंचे। इसी के साथ ही आश्रम में साप्ताहिक प्रवचन कार्यक्रम का शुभारंभ हो गया।
इसमें स्वामी दिव्यानंद जी ने प्रथम दिन श्रद्धालुओं को प्रवचनों की अमृतवर्षा के साथ-साथ भजन गंगा में भी डुबकियां लगवाईं। स्वामी दिव्यानंद जी ने कहा कि जीवन की हर असफलता सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। जो असफलताओं से निराश हो जाते हैं वह कभी भी सफलता के शिखर की ओर नहीं बढ़ पाते। मनुष्य को अपनी हर असफलता को सफलता की मंजिल का पड़ाव समझना चाहिए। जिस प्रकार मंजिल तक पहुंचने के लिए हर पड़ाव को पार करना बेहद जरूरी है उसी प्रकार सफलता पाने के लिए विफलताओं का सामना भी करना पड़ता है। सफलता घर बैठे ही नहीं मिलती। सफलता तो संघर्ष और कठिन परिश्रम के बाद ही मिलती है। सफलता हासिल करने के लिए मनुष्य को जितनी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, सफलता का स्वर उतना ही श्रेष्ठ होता है। उन्होंने कहा कि बगैर कोशिशों के कामयाबी नहीं मिलती। श्रद्धा और भक्ति पर प्रकाश डालते हुए दिव्यानंद जी ने कहा कि श्रद्ध वह चमत्कारिक शक्ति है जो भक्त को पाषाण में भी प्रभु के दिव्य रुप का दर्शन कराती है।
इस मौके पुजारी पं. लक्ष्मी दत्त शास्त्री, कमल जैन, देवराज कसरीजा, लाहौरी राम, जगदीश जोशी, पं. आदेश शर्मा मन्नू समेत अन्य श्रद्धालु भी उपस्थित थे।
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