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कार्तिक माह में अच्छे कर्मो का कई गुणा मिलता है फल

स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्तिक का महीना भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का महीना है। इस माह श्रद्दालुओं को भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह समझना चाहिए कि कार्तिक महीना एक इम्तिहान है और अगर इसमें पास हो गए तो समझो भगवान की कृपा हो गई। सही मायनों में मनुष्य जीवन भगवान का भजन करने के लिए ही मिला है। स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में कार्तिक महोत्सव के तहत प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पदम पुराण की र

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 03:41 PM (IST)
कार्तिक माह में अच्छे कर्मो का कई गुणा मिलता है फल
कार्तिक माह में अच्छे कर्मो का कई गुणा मिलता है फल

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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स्वामी कमलानंद गिरि ने कार्तिक महात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्तिक का महीना भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का महीना है। इस माह श्रद्दालुओं को भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह समझना चाहिए कि कार्तिक महीना एक इम्तिहान है और अगर इसमें पास हो गए तो समझो भगवान की कृपा हो गई। सही मायनों में मनुष्य जीवन भगवान का भजन करने के लिए ही मिला है। स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में कार्तिक महोत्सव के तहत प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पद्मपुराण की रचना वेद व्यास जी ने की थी। श्रीमन नारायण भगवान ने पद्मपुराण यानि की कार्तिक की कथा ब्रह्मा जी को सुनाई। ब्रह्मा जी ने यह कथा नारद जी को सुनाई। आगे चलकर नारद जी ने प्रिथु नामक राजा को यह कथा सुनाई। नारद ने ही वेद व्यास जी को इसकी रचना करने की प्रेरणा दी थी। स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार व्यक्ति के पास कोई अमूल्य वस्तु होती है तथा वह उसे अपने उसी उत्तराधिकारी को सौंपता है, जो उसके लायक हो। उसी प्रकार वेद व्यास जी ने इसकी रचना के बाद काफी लंबे समय तक पद्मपुराण को अपने पास संभाले रखा और सूत जी को इसके योग्य समझते हुए उन्हें यह ग्रंथ सौंप दिया। सूत जी ने आगे 88 हजार सौनक आदि ऋषि-मुनियों को यह कथा सुनाई। 88 हजार ऋषि-मुनियों ने इस कथा का घर-घर में बखान किया।

स्वामी कमलानंद जी ने गुरु, ब्राह्मण तथा गो सेवा बहुत ही कल्याणकारी होती है। कार्तिक में जितना ज्यादा सदकर्म हो सके उतने ज्यादा सदकर्म करने चाहिएं क्योंकि यह महीना सदकर्मों का कई गुणा ज्यादा फल देने वाला महीना है। इस माह अगर व्यक्ति सदकर्म करता है तो उसे उसका अनंत गुणा फल मिलता है। मनुष्य को पुण्य-कर्म करते रहना चाहिए। पुण्य-कर्म ही मनुष्य को भवसागर से पार लगाते हैं। अगर नेक कर्म करोगे तो उसका फल भी अच्छा मिलेगा। अगर बुरे कर्म करोगे तो बुरा फल मिलेगा। इसलिए बुरे कर्मों से दूरी बनाएं और सदकर्मों में ध्यान लगाएं। स्वामी जी ने कहा कि प्रभु का सिमरन करने के लिए भी मनुष्य को समय निकालना चाहिए। आज भाग-दौड़ के दौर में प्रभु सिमरन के लिए मनुष्य के पास बिल्कुल वक्त नहीं रहा है। अगर प्रभु सिमरन ही नहीं करेंगे तो इस जीवन का क्या लाभ। प्रभु सिमरन बगैर यह जीवन व्यर्थ है।

स्वामी कमलानंद जी ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि दान देने से धन कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है। साथ ही स्मृद्धि भी बढ़ती है। दान समस्त सद्गुणों का प्रवेश द्वार है। जिस मनुष्य में उदारता का गुण विकसित नहीं होता उसमें अन्य कोई गुण विकसित नहीं होता।


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