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भक्तों के कष्ट हरते हैं बजरंग बली : कमलानंद गिरि

स्वामी कमलानंद गिरि जी ने वीर बजरंगी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि वीर बजरंगी जैसा श्री राम भक्त व सेवक जगत में न हुआ है न कभी होगा। वीर बजरंग बली अपने आराध्य प्रभु श्री राम चंद्र जी की सेवा का कोई मौका नहीं छोड़ा करते थे। वह तो अपने प्रभु की सेवा करने के बहाने ढूंढा करते थे। वह कभी अपने आराध्य से सेवा नहीं पूछते थे बल्कि उनकी सेवा के कार्य

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 03:58 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 06:51 PM (IST)
भक्तों के कष्ट हरते हैं बजरंग बली : कमलानंद गिरि
भक्तों के कष्ट हरते हैं बजरंग बली : कमलानंद गिरि

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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स्वामी कमलानंद गिरि ने वीर बजरंगी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि वीर बजरंगी जैसा श्रीराम भक्त व सेवक जगत में न हुआ है न कभी होगा। बजरंग बली अपने अराध्य प्रभु श्री राम चंद्र जी की सेवा का कोई मौका नहीं छोड़ा करते थे। वह तो अपने प्रभु की सेवा करने के बहाने ढूंढा करते थे। सच्चा भक्त वही है जो अपने गुरु के बिना कुछ बोले ही सब कुछ समझ जाए। हनुमान जी ऐसे ही सेवक थे जो प्रभु श्री राम चंद्र जी के मन की इच्छा को पहले ही भांप कर उनके बिना कुछ कहे ही उस इच्छा को पूर्ण करने को तैयार रहते थे। स्वामी ने ये विचार श्री राम भवन में सोमवार को श्री हनुमान जयंती पर प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए वीर बजरंगी की महिमा का बखान करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि जो भक्त हनुमान जी की भक्ति करता है उसे कभी कोई दुख व कष्ट नहीं रहता। हनुमान जी खुद ऐसे भक्त के कष्टों को हरते हैं। जो भक्त हनुमान जी के आराध्य प्रभु श्री राम चंद्र जी की भक्ति करता है, ऐसे भक्त पर तो हनुमान जी सबसे पहले प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हनुमान जी को खुद उनकी भक्ति करने वाले भक्तों से प्रभु श्रीराम चंद्र जी की भक्ति करने वाले भक्त ज्यादा प्रिय होते हैं। इस दौरान मंदिर प्रांगण वीर बजरंगी के जयकारों से गूंज उठा। मंदिर का माहौल हनुमानमयी हुआ नजर आ रहा था। श्रद्धालुओं ने श्री हनुमान चालीसा एवं श्री सुंदर कांड पाठ भी किए।

स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि मनुष्य को दूसरों को सुखी देखकर उनसे ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। आज मनुष्य अपने दुख से उतना दुखी नहीं होता जितना दूसरों को सुखी देखकर होता है। मनुष्य अपनी गरीबी से इतना दुखी नहीं है जितना दूसरे की अमीरी ने उसे दुखी कर रखा है। उससे दूसरे की खुशी बर्दाश्त नहीं होती। सुख-दुख तो भाग्य का खेल है। सुख-दुख तो पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर मिलता है। आज जो दुखी है उसने पूर्व जन्म में जरूर पाप किए होंगे। अगर आज कोई धनवान और सुखी है तो यह उसके पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों का फल है। इसलिए दूसरों को सुखी देखकर जलन की अग्नि में खुद को मत जलाओ। परमात्मा की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। हर कार्य परमात्मा की मर्जी से ही होता है। परमात्मा की मर्जी के आगे सभी बेबस हैं। गरीबों, दीन-दुखियों और असहायों का भला करना ही मनुष्य का धर्म है। इसलिए गरीबों, दीन-दुखियों की दिल खोलकर मदद करो। स्वामी जी ने श्रद्दालुओं को श्याम तेरी बंसी बजे धीरे-धीरे. गो¨वद मेरो है, गोपाल मेरो है.. तथा'सत्संग सदा होता रहा कृपा करो भगवान. भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।

स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को गौ हत्या के पाप के बारे में बताते हुए कहा कि गौ हत्या मातृ हत्या के समान है। गाय माता की कभी हत्या नहीं करनी चाहिए क्योंकि मां की हत्या तुल्य इसका पाप लगता है।


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