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भक्तों ने किया शिव चालीसा का पाठ

श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है। श्री शिव चालीसा का पाठ भी मनुष्य के दुख संतापों को मिटाता है। ये विचार भुल्लर कॉलोनी स्थित जय मां चितपूर्णी मंदिर में महाशिवरात्रि के उपल्क्षय में आयोजित विशाल हवन यज्ञ के उपरांत सत्संग कार्यक्रम में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कथावाचक पं. पूरन चंद्र जोशी ने व्यक्त किए। पं. जोशी ने कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार एक भील जो कि शिकार खेलकर अपने बच्चों का पेट भरता था। महाशिवरात्रि के दिन वह जंगल में शिकार की तलाश में गया परंतु उसे सुबह तक कोई शि

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 03:58 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 03:58 PM (IST)
भक्तों ने किया शिव चालीसा का पाठ
भक्तों ने किया शिव चालीसा का पाठ

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है। श्री शिव चालीसा का पाठ भी मनुष्य के दुख संतापों को मिटाता है। ये विचार भुल्लर कॉलोनी स्थित जय मां चितपूर्णी मंदिर में महाशिवरात्रि के उपल्क्षय में आयोजित विशाल हवन यज्ञ के उपरांत सत्संग कार्यक्रम में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कथावाचक पं. पूरन चंद्र जोशी ने व्यक्त किए।

पंडित जोशी ने कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार एक भील, जो कि शिकार खेलकर अपने बच्चों का पेट भरता था। महाशिवरात्रि के दिन वह जंगल में शिकार की तलाश में गया परंतु उसे सुबह तक कोई शिकार नहीं मिला। सायंकाल महाशिवारात्रि का पहला पहर था। वह बेल के वृक्ष पर चढ़ गया उसने एक हिरणी को पानी पीते हुए देखा तो उसने धनुष बाण निकाला तो वृक्ष का पत्ता हिला तो नीचे शिवलिग बना था। पत्ता व पत्ते में पड़ा जल नीचे शिवलिग पर गिरा तो उसकी अनजाने में उसकी एक पहर की पूजा हो गई। हिरणी को तीर मारने वाला ही था तो हिरणी बोली मुझे एक बार छोड़ दो मैं एक बार घर जाकर अपने पति व बच्चो को मिल कर आऊ। इस पर भील को दया की भावना आई उसने उसे जाने दिया। तो वह पुन वृक्ष पर बैठ गया तो इसी प्रकार तीन और हिरण आए तथा उसकी तीन पहर की पूजा संपन्न हो गई।

सभी हिरण अपने वायदे के मुताबिक उसके पास आने लगे। तो भील ने फिर धनुष उठाया तो फिर पत्ता व जल गिरा उसकी चौथे पहर की पूजा भी अनजाने में हो गई। अब भील को ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी तो उसने उन सब को छोड़ दिया। इस दौरान पंडित जोशी ने भक्तों को शिव चालीसा का जाप भी कराया। मंदिर परिसर शिव भोले के जयकारों से गूंज उठा।


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