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प्रभु ¨चतन से ही ¨चता से मुक्ति : दिव्यानंद गिरि

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब स्वामी दिव्यानंद गिरि ने हरि नाम की चर्चा करते हुए कहा कि जो भक्त

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 04:02 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 04:02 PM (IST)
प्रभु ¨चतन से ही ¨चता से मुक्ति : दिव्यानंद गिरि
प्रभु ¨चतन से ही ¨चता से मुक्ति : दिव्यानंद गिरि

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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स्वामी दिव्यानंद गिरि ने हरि नाम की चर्चा करते हुए कहा कि जो भक्त पूर्ण श्रद्धा-विश्वास के साथ हरि नाम का संकीर्तन करता है उसके हर प्रकार के पाप, ताप और संताप खत्म हो जाते हैं। दिव्यानंद जी ने ये विचार श्री रघुनाथ मंदिर में आयोजित वार्षिक माघ महात्म एवं ज्ञान भक्ति सत्संग कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहे। स्वामी जी कहा कि अगर मनुष्य को आज विपत्तियों ने घेरा है तो समझ लेना चाहिए कि उसे दुआओं की जरुरत है। मनुष्य जब तक चित को निरंतर ¨चतन में नहीं लगाता तब तक ¨चताओं से मुक्त नहीं हो पाता। अगर चित को प्रभु के ¨चतन में लगाओगे तो प्रभु स्वयं सारी ¨चताएं दूर करेंगे। हरि भजन से प्यार करने वाला भक्त सदा फूलों की तरह खिला रहता है। उसे किसी भी प्रकार की कोई ¨चता नहीं रहती।

स्वामी जी ने मनुष्य को विषय-वासनाओं से बचकर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि विषय-वासनाएं जन्म-जन्मांतर तक व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती। जिस मन में वासनाएं हैं, वहां ज्ञान कभी नहीं टिक पाता। ज्ञान पानी से भी पतला है। वह तो केवल अटूट श्रद्धा रुपी घड़े में ही टिक पाता है। यदि घड़े में एक छोटा सा भी छिद्र हो जाए तो घड़े में पानी नहीं टिक पाता। उसी प्रकार मानव शरीर रुपी घड़े में छिद्र हो जाए तो इस घड़े को सत्संग रुपी सरोवर में डुबोकर रखोगे तभी इसमें ज्ञान रुपी जल टिक पाएगा। ऐसा करने के लिए किसी सच्चे संत का संग होना जरुरी है। अगर किसी सच्चे संत का संग मिल गया तो समझो एक न एक दिन भगवान भी जरुर मिल जाएंगे। इस मौके पर बड़ी गिनती में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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