किसानों का संघर्ष कमजोर कर रही केंद्र सरकार : सुखबीर बादल
पूर्व उप मुख्यमंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल पार्टी के प्रधान सुखबीर बादर मुक्तसर पहुंचे।
संवाद सहयोगी, श्री मुक्तसर साहिब
पूर्व उप मुख्यमंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को भाई महासिंह दीवान हाल में दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने झूठ के बलबूत पर पंजाब में अपनी सरकार बनाई है। वोटों के समय लोगों को गुमराह किया गया। कैप्टन अमरिदर सिंह ड्रामेबाज हैं जिन्होंने चुनावों से पहले गुटका साहिब पर हाथर खकर प्रण लिया था कि वह पंजाब को नशा मुक्त करवाएंगे, विकास करेंगे, लेकिन अब चार वर्ष बीत जाने पर कैप्टन अमरिदरसिंह एक बार भी लोगों के बीच में नहीं आए।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के संघर्ष को कमजोर करना चाहती है जिस कारण कई तरह के हाथकंडे अपनाए जा रहे हैं लेकिन किसानों का संघर्ष कमजोर नहीं बल्कि और मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी किसी की निजी जायदाद नहीं है यह पंथ की नुमाइंदगी जत्थेबंदी है जिसके सदस्यों का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से होता है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल का राज सही अर्थों में लोगों का राज है। किसानी संघर्ष में कांग्रेस दोगली नीति अपना रही है। प्रधान तथा हलका विधायक कंवरजीत सिंह रोजी बरकंदी लोगों का धन्यवाद किया। --------------------- भाजपा नेता आज थाम सकते हैं शिअद का दमन
जागरण संवाददाता, फरीदकोट
निकाय चुनाव से पहले लोहड़ी पर्व पर फरीदकोट में शिअद बड़ा धमाका करने की तैयारी में है। बुधवार दोपहर बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के फरीदकोट अफसर क्लब पहुंच रहे शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिअद यूथ विग के प्रदेश प्रधान परमबंस सिंह बंटी रोमाणा के करीबी व मित्र फरीदकोट के एक बड़े भाजपा नेता के शिअद में शामिल होने की आशा है। यदि ऐसा होता है तो फरीदकोट में अपने अस्तित्व कायम करने की जद्दोजहद कर ही भाजपा को लोहड़ी पर्व पर बड़ा झटका लग सकता है। शिअद के एक बड़े नेता ने बताया कि उक्त भाजपा नेता स्वेच्छा से भाजपा को छोड़कर शिअद में आ रहा है, वह लोग उसका स्वागत करते है, बाकी बुधवार की दोपहर होने वाले समागम में ही स्पष्ट हो पाएगा कि उसके साथ और कौन-कौन शिअद में आते है। भाजपा के उक्त नेता को युवा होने के कारण पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी, हालांकि पार्टी के इस फैसले से कोटकपूरा के पुराने भाजपा नेता नाराज भी हुए थे।