कटर में किया बदलाव, बिना पराली जलाए बो दिया सोना
गांव तरमाला के हरब¨रदर ¨सह गिल ने पराली को बिना जलाए खुद की खोजी तकनीक के साथ गेहूं की बिजाई की और अब जब फसल लहराने लगी तो किसान को खोज पर मान होने लगा है। कृषि विभाग लगातार इस तकनीक के साथ बीजी गेहूं का अध्ययन कर रहा है। कृषि माहिर डॉ. सुखचैन ¨सह (कृषि विकास अफसर), डॉ. निर्मलजीत ¨सह (डायरेक्टर केवीके मुक्तसर), डॉ. बलकरन ¨सह, डॉ. चेतक की ओर से गांव तरमाला के हरब¨रदर ¨सह के खेत का निरीक्षण किया, जिसने बिना आग लगाए सीधी पराली में गेहूं की बिजाई की थी। यह फसल 60 दिन की हो चुकी है और इसमें कोई भी खुराकी तत्वों की कमी नजर नहीं आती।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : गांव तरमाला के हरब¨रदर ¨सह गिल ने पराली को बिना जलाए खुद की खोजी तकनीक के साथ गेहूं की बिजाई की और अब जब फसल लहराने लगी तो किसान को खोज पर मान होने लगा है। कृषि विभाग लगातार इस तकनीक के साथ बीजी गेहूं का अध्ययन कर रहा है। कृषि माहिर डॉ. सुखचैन ¨सह (कृषि विकास अफसर), डॉ. निर्मलजीत ¨सह (डायरेक्टर केवीके मुक्तसर), डॉ. बलकरन ¨सह, डॉ. चेतक की ओर से गांव तरमाला के हरब¨रदर ¨सह के खेत का निरीक्षण किया, जिसने बिना आग लगाए सीधी पराली में गेहूं की बिजाई की थी। यह फसल 60 दिन की हो चुकी है और इसमें कोई भी खुराकी तत्वों की कमी नजर नहीं आती। कृषि अफसर सुखचैन ¨सह ने बताया कि कई किसान कह देते हैं कि पराली के साथ ¨पक बाल वोरम सूंडी का हमला होता है, परन्तु इस किसान ने इस तरह की मुश्किलों को नकारा दिया है। यह किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
38 एकड़ में खुद की तकनीक अब लहरा रही
गांव तरमाला के किसान हरब¨रदर ¨सह गिल ने 4 साल के अनुभव के बाद इस साल 38 एकड़ में अपनी खोजी तकनीक के साथ गेहूं की बिजाई पराली को बिना जलाए की थी और इस कार्य पर उसका खर्च भी सिर्फ 2 लीटर डीजल प्रति एकड़ ही आया था। खेत पर पहुंचे कृषि विभाग के अधिकारियों को हरब¨रदर ¨सह ने इस तकनीक के बारे में बताया कि उसने पराली कुतरने वाले कटर में कुछ बदलाव करके उसको इस तरह डिजाइन किया है कि सारी पराली एक सार खेतों में बिखरे और कही भी पराली की कमी या बढ़ोतरी न रहे।
फसल ने ढक दी पराली
गिल ने कहा कि कंबाइन के साथ कटाई के बाद खेत को पानी लगा दिया। सीजन आने पर खाद का छींटा दे दिया और संशोधन कर तैयार किए कटर के साथ गेहूं के बीज को पराली के साथ ढक दिया। 6 दिन में गेहूं उग पड़ी। अब पराली खेत में ढूंढे भी नहीं मिलती। दूसरे साल खाद की खपत भी घटेगी और इस तकनीक के साथ बीजी गेहूं में नदीन भी नहीं उगते।