श्री सुंदरकांड का पाठ करने से होती है हनुमान जी की कृपा : दिव्यानंद गिरि
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास के साथ जो भक
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास के साथ जो भक्त श्री सुंदर कांड जी का आश्रय लेता है, उसके जीवन के सभी पल सुंदर और मधुर बन जाते हैं। जीवन को सुंदर और मधुर बनाना चाहते हैं तो श्रद्धा-भक्ति भाव से सुंदर कांड पाठ करें। श्री सुंदर कांड का हर अंग सुंदर है इसलिए इसे सुंदर कांड कहा गया है। जो भक्त श्री सुंदर कांड पाठ करता है, अपने घर में श्री सुंदर कांड पाठ करवाता है उस भक्त पर वीर बजरंगी की कृपा बनी रहती है। दिव्यानंद जी ने ये विचार अबोहर रोड स्थित श्री मोहन जगदीश्वर दिव्य आश्रम में मंगलवार को आयोजितश्री सुंदर कांड पाठ व श्री रामायण पाठों के समापन मौके श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष व्यक्त किए।
स्वामी जी ने कहा कि संत रविदास जी की एक आदत थी कि वो गंगा स्नान को जाएं या न जाएं, वह अपने हाथ से चाहे कोई भी कार्य क्यों न कर रहे हों मगर मुख से हर वक्त नाम-सिमरन करते रहते थे। ऐसा अभ्यास हुआ कि कठौती ही गंगा बन गई। विभिषण भी नाम जप ही करते थे। कहीं आते-जाते नहीं थे। एक दिन नाम के प्रभाव से ही उन्हें संत रुप में श्री हनुमान जी मिल गए जिन्होंने विभिषण को प्रभु श्री राम चंद्र जी से मिलाया। इसलिए आवश्यकता है ²ढ़ विश्वास और श्रद्धा से नाम सिमरन करने की। प्रभु तो भाव के भूखे हैं। जो सच्ची श्रद्धा-भाव से उनका सिमरन करता है वह उसे अवश्य मिलते हैं। मंदिर प्रांगण श्री राम चंद्र व वीर बजरंगी के जयकारों से गूंज उठा। बड़ी गिनती में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर स्वामी दिव्यानंद जी एवं विवेकानंद जी से आर्शीवाद प्राप्त किया।
विवेकानंद जी ने भी प्रवचनों की अमृतवर्षा दौरान श्री राम चंद्र जी व उनके परम भक्त हनुमान जी के जीवन पर प्रसंग सुना श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। वहीं श्रद्धालुओं ने श्री हनुमान चालीसा पाठ करते हुए वीर बजरंगी की कृपा ²ष्टि भी प्राप्त की।
स्वामी दिव्यानंद गिरि व उनके परम शिष्य विवेकानंद गिरि ने गांव कोटली में स्थित कुटिया में मां दुर्गा व लंगर वीर श्री हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना भी कराई। इस दौरान सेठी परिवार ने पूजन में हिस्सा लिया और महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। आसमान मां दुर्गा व हनुमान जी के जयकारों से गूंज उठा। इस मौके कमल जैन, अशोक अरोड़ा, अंकुश सेठी, पुजारी लक्ष्मी, पं. आदेश कुमार मन्नू समेत अन्य बड़ी गिनती में श्रद्धालु भी उपस्थित थे।
इनसेट
अब जलाला में लोगों को करेंगे निहाल
स्वामी दिव्यानंद जी एवं विवेकानंद गिरि जी 07 फरवरी को शाम चार बजे मुक्तसर से जलालाबाद के लिए प्रस्थान कर जाएंगे। वह वहां कुछ दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा कर वहां के श्रद्धालुओं को कृतार्थ करेंगे। सुबह स्वामी जी को विदाई देने के लिए विदाई सत्संग व अटूट भंडारा भी आयोजित होगा। श्रद्धालुओं से भंडारे में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करने की अपील की गई है।