प्रेम के वशीभूत हैं भगवान : कविता भारती
संवाद सूत्र, मंडी बरीवाला (श्री मुक्तसर साहिब) दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा भारतीय धानक समाज
संवाद सूत्र, मंडी बरीवाला (श्री मुक्तसर साहिब)
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा भारतीय धानक समाज मंडी बरीवाला धर्मशाला में तीन दिवसीय श्री कृष्ण महिमा के दूसरे दिन साध्वी कविता भारती ने प्रवचन करते हुए बताया कि भगवान सिर्फ दुष्टों का नाश करने के लिए ही नहीं अवतार धारण करते उसके अवतार धारण करने का लक्ष्य भक्तों का प्रेम पाना भी होता है। प्रेम वंश ही प्रभु साकार रूप धारण करते हैं तथा भक्त के घर के आंगन में खेलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। साध्वी ने गोपियों तथा सुदामा के प्रेम को पेश करते हुए कहा कि प्रभु के भूखे है, भक्त उनकी शान हैं। भगवान अगर फूल हैं तो भगत वह जमीन है जिसने उस फूल को खिलने का अवसर दिया है। साध्वी ने कहा कि ऐसा तब ही होता है जब एक भक्त भक्ति से जुड़ता है। इसलिए महापुरुष करते हैं कि भगवान को जाने बिना प्रेम पैदा नहीं हो सकता। कथा के अंत में प्रभु का पावन आरती का गायन भी किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।