पराली जलाने वाले किसानों की मजबूरी जानेगा कृषि विभाग
कृषि विभाग पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने की जाए अब उनकी मजबूरी जानने के लिए निकल पड़ा है। वह पराली जलाने वाले किसानों के पास जाएगा और उनसे पराली को आग लगाने के कारण पूछेगा। ताकि उसका आगामी वर्ष के दौरान हल किया जा सके। इसकी तैयारियां कृषि विभाग ने शुरु कर दी हैं। वह अपनी स्तर पर नोडल अधिकारी लगाकर इनका डाटा एकत्रित करने में जुट गया है। हालांकि इस बार भी जिले भर में 4200 किसानों ने पराली को आग लगाई है। कैसे होगा इस पर काम
सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब
कृषि विभाग पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने की बजाए अब उनकी मजबूरी जानने के लिए निकल पड़ा है। वह पराली जलाने वाले किसानों के पास जाएगा और उनसे पराली को आग लगाने के कारण पूछेगा। ताकि उसका आगामी वर्ष के दौरान हल किया जा सके। इसकी तैयारियां कृषि विभाग ने शुरू कर दी हैं। वह अपनी स्तर पर नोडल अधिकारी लगाकर इनका डाटा एकत्रित करने में जुट गया है। हालांकि इस बार भी जिले भर में 4200 किसानों ने पराली को आग लगाई है।
जिला कृषि अधिकारी बल¨जदर ¨सह के अनुसार इस बार यदि किसी किसान ने किसी मजबूरी में पराली को आग लगाई है तो विभाग की टीम अब ऐसे किसानों से संपर्क कर उनकी मुश्किलों के बारे में सर्वेक्षण करेंगी ताकि सरकार द्वारा ठोस योजनाबंदी तैयार की जा सके। कुछ किसानों ने पूरे संसाधन न मुहैया होने के कारण आग लगाई है जबकि कुछ किसानों ने यूनियनों के कहने पर ऐसा काम किया है। इसमें कुछ ही किसान ऐसे भी मिलेंगे जिन्होंने सब कुछ होते हुए भी आग लगा डाली।
कृषि विभाग के अनुसार उनके नोडल अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिनकी पहले गांवों में ही ड्यूटी लगाई गई थी। यह अधिकारी अब किसानों की सूची तैयार करेंगे। जिन्होंने पराली को आग लगाई थी। फिर यह उनके पास गांवों में जाएंगे और उनसे बातचीत कर उनकी समस्या पूछेंगे। पूरे जिले में यह काम कर उसकी एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी जिसके हिसाब से ही आगे से काम किया जाएगा और किसानों की समस्या का हल किया जाएगा।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एसडीओ दलजीत ¨सह ने बताया कि अब तक करीब 4200 जगह पर जिले में किसानों की ओर से आग लगाई गई है। जिसका डाटा एकत्रित कर लिया गया है। इनसेट
सही जानकारी दें किसान : गुरप्रीत सिंह
कृषि अधिकारी गुरप्रीत ¨सह ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण का उद्देश्य किसानों को किसी प्रकार का दंड देना नहीं है बल्कि उन की आग लगाने की मजबूरी को समझना है ताकि अगले वर्ष के लिए इस मुश्किल का स्थाई हल हो सके। इसलिए उन्होंने कृषकों को अपील की कि वे सर्वेक्षण करने के लिए आने वाली टीमों को सही जानकारी दें।