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किसान दे रहे हैं पर्यावरण संरक्षण में सहयोग

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनूल द्वारा पराली जलाने पर लगाई स त रोक के कारण गेहूं बिजाई की मशीन है हैप्पी सीडर ने किसानों को पराली को बिना जलाए गेहूं की बिजाई में सहायता करके किसानी की मदद की है। अपनी आने वाली पीढ़ी अपनी सेहत, अपनी जमीन व अपने वातावरण प्रति जागरूक बड़ी सं या में किसानों द्वारा पराली को बिना जलाए हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई की जा रही है। ऐसे ही गांव छत्तेआना के किसान गुरमेल ¨सह ने अपनी 40 एकड़ गेहूं की बिजाई हैप्पी सीडर से की है। अब जब हैप्पी सीडर से बीजी हुई गेहूं पराली से ढक्

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:48 PM (IST)
किसान दे रहे हैं पर्यावरण संरक्षण में सहयोग
किसान दे रहे हैं पर्यावरण संरक्षण में सहयोग

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनल की ओर से पराली जलाने पर लगाई सख्त रोक के कारण गेहूं बिजाई की मशीन है हैप्पी सीडर ने किसानों को पराली को बिना जलाए गेहूं की बिजाई में सहायता करके किसानी की मदद की है। अपनी आने वाली पीढ़ी अपनी सेहत, अपनी जमीन व अपने वातावरण प्रति जागरूक बड़ी संख्या में किसानों द्वारा पराली को बिना जलाए हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई की जा रही है। ऐसे ही गांव छत्तेआना के किसान गुरमेल ¨सह ने अपनी 40 एकड़ गेहूं की बिजाई हैप्पी सीडर से की है। अब जब हैप्पी सीडर से बीजी हुई गेहूं पराली से ढक्के हुए दिखाई देती है कि इससे वातावरण के रक्षक किसान के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। गुरमेल ¨सह बताता है कि उसने एसएमएस लगी कंबाइन से धान काटकर हैप्पी सीडर से सीधी बिजाई की है, जबकि बाकी खेत में उसके आम कंबाइन से धान की कटाई के बाद मल्चर से पराली का खेत में ही कुतरा करके मिट्टी में बिछा दिया व फिर हैप्पी सीडर से बिजाई कर दी। वह कहता है कि इस तरीके उसका बिजाई पर पुराने तरीकों के मुकाबले कम खर्चा हुआ है व उसके खेत में नदीन भी पैदा नहीं होंगे। कृषि विज्ञान केन्द्र गोनियाना के मार्ग दर्शन से खेती करने वाले इस किसान का कहना है कि खेतों में पराली के मिलने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। गुरमेल ¨सह ने किसानों के एक समूह बनाकर सरकारी की 80 प्रतिशत सब्सिडी योजना के तहत हैप्पी सीडर व मल्चर खरीदे है। इसी तरह गांव रूपाणा के किसान बाज ¨सह जिसने 20 एकड़ में हैप्पी सीडर से कटाई करके हैप्पी सीडर से बिना जोते बिजाई की है। उसके अनुसार पराली के खेतों में मिल जाने से जमीन की सेहत अच्छी होती है व वातावरण पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। कृषि विज्ञान केन्द्र के डिप्टी डायरेक्टर एनएस धालीवाल ने बताया कि केवीके द्वारा विभिन्न गांवों में किसानों को पराली को बिना जलाए इसके निपटारे के बारे सिखलाई दी जा रही है।

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