दिव्य नेत्र से ही होगा आध्यात्म का ज्ञान : संदीप सिंह
संवाद सूत्र, मंडी बरीवाला (श्री मुक्तसर साहिब) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गाँव बरीवाला में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें भाई साहिब भाई संदीप ¨सह ने कहा कि वर्तमान समाज में बहुत से लोग अध्यात्म के मार्ग पर चल रहे है पर ये दावा खोखला व आधार हीन प्रतीत होता है। क्योंकि उसके अंदर कहीं भी आध्यात्मिकता झलकती दिखाई नहीं देती। असल रूप में आध्यात्मिक बनने की पहली मुख्य शर्त यह है कि हम अध्यात्म के मूल अर्थ को जान जाए। अध्यात्म का सीधा सबंध हमारे अंतर जगत के साथ भाव की हमारी आत्मा से है। व्यक्ति को आध्यात्मि
संवाद सूत्र, मंडी बरीवाला (श्री मुक्तसर साहिब)
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गांव बरीवाला में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। इसमें भाई संदीप ¨सह ने कहा कि वर्तमान समाज में बहुत से लोग अध्यात्म के मार्ग पर चल रहे हैं पर ये दावा खोखला व आधार हीन प्रतीत होता है। क्योंकि उसके अंदर कहीं भी आध्यात्मिकता झलकती दिखाई नहीं देती। असल रूप में आध्यात्मिक बनने की पहली मुख्य शर्त यह है कि हम अध्यात्म के मूल अर्थ को जानें। अध्यात्म का सीधा सबंध हमारे अंतर जगत अर्थात हमारी आत्मा से है। व्यक्ति को आध्यात्मिक बनने के लिए अपने इस अंतर जगत से जुड़ना पड़ेगा, परमात्मा का प्रत्यक्ष दीदार करना होगा।
भाई संदीप ¨सह ने कहा कि ये तभी संभव हो सकता है जब किसी पूर्ण संत सतगुरु की कृपा से दिव्य नेत्र प्राप्त हो जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो हमारी हालत उस अंधे व्यक्ति की तरह है जो अपनी चीजों को हाथ पैर से जानने की कोशिश करता है और धोखा खा जाता है। इसलिए अध्यात्म की जानकारी के लिए दिव्य नेत्र की जरूरत है जो पूर्ण सतगुरु की शरण में जा के ही प्राप्त हो सकता है।