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अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है दीपावली

स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्तिक मास खुशियों से भरपूर त्यौहारों का महीना होता है। यूं तो इस माह खुशियां प्रदान करने वाले अनेकों त्यौहार आते हैं, मगर दीपावली का त्यौहार इन सबमें खास मायने रखता है। दीपावली पर्व पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी ने कहा कि दीपावली का त्यौहार खुशियों से भरपूर होता है। इस दिन दीप दान का विधान है। दीपावली का त्यौहार आध्यात्मिक रुप से अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन मंदिरों व घरों में मिट्टी के दीये जलाने का विधान है। मान्यता है कि जो भक्त दीपावली की रात अ

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 03:50 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 03:50 PM (IST)
अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है दीपावली
अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है दीपावली

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्तिक मास खुशियों से भरपूर त्योहारों का महीना होता है। दीपावली का त्यौहार इन सबमें खास मायने रखता है। इस दिन दीप दान का विधान है। दीपावली का त्योहार आध्यात्मिक रुप से अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन मंदिरों व घरों में मिट्टी के दीये जलाने का विधान है। मान्यता है कि जो भक्त दीपावली की रात अपने घर में ज्यादा से ज्यादा दीये प्रज्जवलित कर रोशनी कर घर को जगमगाहट से भरपूर करता है, उसके घर में सदा के लिए मां लक्ष्मी का वास होता है। स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में कार्तिक महोत्सव के तहत प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए दीपावली पर्व पर प्रकाश डालते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से अत्याधिक महत्व है। इसे ¨हदू धर्म के साथ-साथ सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाते हैं।

स्वामी कमलानंद जी ने श्रद्धालुओं को चायनीज लडि़यों की जगह मिट्टी के दीये जलाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में मिट्टी के दीये जलाने का चलन कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम चंद्र जी के अयोध्या लौटने पर अयोध्यावासियों ने मिट्टी के बने दीपक जलाकर प्रकाश किया था। आज भी लोगों को मिट्टी के दीये जलाकर प्रकाश करना चाहिए। इससे जहां घर का माहौल पवित्र बना रहता है। वहीं मिट्टी के दीये बनाकर घर-परिवार का गुजारा चला रहे कुम्हारों के घर भी दीवाली की रौनक बनी रहेगी। अगर हो सके तो घरों में दीपमाला के साथ-साथ मंदिर में भी दीप दान करें। कार्तिक माह में दीप दान का तो बहुत महत्व है ही, दीपावली पर मंदिर में दीपदान का अनंत गुणा फल मिलता है।

श्री राम भवन में सोमवार की देर शाम आयोजित श्री हनुमान जयंती उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब इस कद्र उमड़ पड़ा कि मंदिर प्रांगण खचा-खच भरा नजर आ रहा था। स्वामी कमलानंद जी महाराज ने श्रद्धालुओं को वीर बजरंगी की महिमा सुना भाव-विभोर कर दिया। श्रद्धालु वीर बजरंगी के भजनों पर मंत्रमुग्ध होकर झूम रहे थे। मंदिर प्रांगण श्री हनुमान जी के रंग में रंग गया। श्री हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में मंदिर को फूलों व गुब्बारों से सुंदर ढंग से सजाया गया था।

इस मौके अशोक तेरिया, वेद प्रकाश मलूजा, सुभाष ग्रोवर, नत्थू राम गोयल, हंसराज दाबड़ा, रोशन लाल रस्सेवट, बहादुर ¨सह, राजकुमार चगती, कपिल आहुजा, मेघराज गर्ग, रोशन लाल गिरधर, केवल शर्मा, राजकुमार गोयल, जय किशन यादव, केवल कृष्ण गर्ग मलोट, जय किशन यादव, विजय चावला, अश्वनी गिरधर, धर्मपाल गावड़ी, शंभू कक्कड़, रमन जैन, पुजारी पं. रणजीत शर्मा, साजन समेत बड़ी गिनती में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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