गन्ने का 25 लाख नहीं मिला तो जोत दी फसल
भूरा राम, बादल (श्री मुक्तसर साहिब) भले ही राज्य सरकार किसानों के कर्ज माफ करने के दावे कर रही है
भूरा राम, बादल (श्री मुक्तसर साहिब)
भले ही राज्य सरकार किसानों के कर्ज माफ करने के दावे कर रही है और बजट में भी उनके लिए अलग से पैकेज रख रही है लेकिन असलियत कुछ और ही है। किसान सरकार की गलत नीतियों के कारण ही कर्ज तले दबे हैं। ऐसे ही हलके के गांव मिड्डा निवासी किसान ने सरकार की गलत नीतियों से तंग आते हुए अपने तीस एकड़ गन्ने की फसल जोत डाली। उसे गन्ने की फसल का करीब 25 लाख रुपये बकाया ही नहीं मिल रहा जिस कारण वह मानसिक परेशान भी है।
गांव मिड्डा निवासी किसान हरदयाल ¨सह के पास दस एकड़ जमीन है। वह 20 एकड़ ठेके पर लेकर कृषि करता है। हरदयाल के अनुसार उसने यह जमीन तीन वर्ष के लिए 28 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से ली थी जिसमें उसने गन्ने की खेती की हुई थी। जिसका प्रति वर्ष का पांच लाख 60 हजार रुपये बनता था। इसके अलावा दूसरे खर्च भी आते थे।
हरदयाल ¨सह के अनुसार उसने खेत से गन्ना फाजिल्का की शूगर मिल में बेचा था। बीते वर्ष से उसे कुछ पैसा तो मिल गया था। जबकि आठ लाख रुपये बकाया था। इस वर्ष का भी करीब 17 लाख रुपये बकाया है। लेकिन उसे पैसे नहीं मिल रहे हैं। वह बार बार चक्कर काट रहा है। इसी कारण ही उस पर 25 लाख रुपये के करीब कर्ज भी हो चुका है। जोकि उसने जमीन वाले व अन्य लोगों का देना है। वह अब ब्याज पर पैसे लेकर घर का गुजारा चला रहा है। जबकि दूसरे राज्यों में 11वें दिन पैसे मिल जाते हैं। लेकिन 11 माह बीतने पर भी नहीं मिल रहे। हरदयाल के अनुसार वह बीते आठ वर्ष से गन्ने की खेती कर रहा है लेकिन ऐसे पहले नहीं हुआ था। उसका कहना है कि इसी कारण ही किसान खुदकुशी करते हैं। यदि सरकार अपनी नीति सह कर ले तो किसान खुदकुशी बंद हो सकती है। गौर हो कि एक बार गन्ने की बिजाई कने के बाद यह चार वर्ष तक फसल होती है। लेकिन किसान ने इस बीज को ही नष्ट कर दिया है। इनसेट
मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं : जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी बल¨जदर ¨सह बराड़ ने कहा कि वैसे तो यह गलत बात है लेकिन इसके लिए अलग से स्टाफ होता है। यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।