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कोयला भट्ठियां निकाल रहीं तंदुरुस्त पंजाब का धुंआ

सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब राज्य सरकार की ओर से मिशन 'तंदुरुस्त पंजाब' शुरू किया गया

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 12:18 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 12:18 AM (IST)
कोयला भट्ठियां निकाल रहीं तंदुरुस्त पंजाब का धुंआ
कोयला भट्ठियां निकाल रहीं तंदुरुस्त पंजाब का धुंआ

सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब

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राज्य सरकार की ओर से मिशन 'तंदुरुस्त पंजाब' शुरू किया गया है। जिसके अधीन विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं ताकि राज्य को फिर से पहले जैसा बनाया जा सके। लेकिन जिले भर में चल रही सैंकडों कोयला भट्ठी राज्य सरकार के तंदरुस्त पंजाब का धुंआ निकाल रही हैं। जहां से कोयला तैयार होकर बड़े शहरों में सप्लाई होता है। यह भट्ठी राज्य पर दोहरी मार डाल रही है। एक तो वृक्ष काटकर हरियाली खत्म कर रही हैं तो उपर से कोयला बनाते समय इससे निकलने वाला जहरीला धुंआ प्रदूषण में बढ़ोतरी कर रहा है। उपर से इन्हें पूरी तरह से अवैध बताते हुए प्रदूषण विभाग कार्रवाई करने की लोगों को केस करने की सलाह दे रहा है। जिलेभर मे चल रही हैं 500 के करीब भट्ठियां

यदि बात की जाए तो अकेले मुक्तसर में 16 लोग यह कार्य करते हैं। हर एक व्यक्ति के पास 10 से 20 भट्ठी है। जबकि पूरे जिले में 500 से अधिक भट्ठी हैं। यह भट्ठी दिन रात चलती ही रहती हैं। क्योंकि कोयला बनाने वाले तीन भट्ठी में कोयला बनाना शुरु कर देते हैं, तीन या चार से निकाल रहे है और दूसरी में लकड़ी भरी जा रही है। मुक्तसर के अबोहर रोड पर, गुरुहरसहाए रोड पर, मलोट में बंद पड़ी शूगर मिल के पीछे, दानेवाला चौक के पास डेरा सच्चा सौदा को जाने वाले रास्ते पर, गांव दानेवाला-¨कगरा रोड के अलावा मलोट-डबवाली रोड पर एक चारदीवारी में भट्ठियां चल रही है। ऐसे तैयार होता है कोयला

कोयला बनाने के लिए बनी एक भट्ठी में 50 ¨क्वटल लकड़ी डाली जाती है। जिसमें बाद में गट्टे या अन्य बोरी डालकर आग, लगा दी जाती है और इसे बंद कर दिया जाता है। इसमें से धुंआ धीरे धीरे निकलता रहता है। यह पूरे 15 दिन का समय लेती है। कोयला बनकर भट्ठी ठंडी होती है। 50 ¨क्वटल लकड़ी से करीब 12 से 15 ¨क्वटल कोयला तैयार होती है। कोयला बनाने वाला कर्मचारी 250 रुपये प्रति ¨क्वटल कोयला तैयार करने की मेहनत लेता है। बाद में इस कोयले को ट्रकों में भरकर दिल्ली, राजस्थान, गंगानगर आदि जैसे महानगरों में 25 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है। हादसे का भी बनते हैं कारण

उपर से कोयला बनाने वालों ने अपनी बड़ी मात्र में लकड़ी सड़क के साथ ही फेंक रखी है। जिस कारण किसी भी समय कोई बड़ा हादसे हो सकता है। यदि किसी वाहन चालक को एमरजेंसी में अपनी गाड़ी नीचे उतारनी पड़ जाए तो नहीं हो सकता वह सीधा ही लकड़ी से टकराएगा। एं तां नी हल्ल होणा तुंसी केस कर दो : एसडीओ

उधर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एसडीओ दलजीत ¨सह जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अएं ता हल्ल नी होणा तुंसी 5 लोकां दे साइन करवाके 133 दे अधीन एसडीएम दी अदालत च केस कर दो। फिर तां कुछ होजू, नहीं ता अईं चल्ली जाणगियां। जबकि एसडीएम राजपाल ¨सह का कहना था कि यह तो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है। यदि प्रदूषण विभाग केस करेगा तो वह आदेश जारी कर देंगे।


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