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राम से बड़ा राम का नाम : स्वामी कमलानंद

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब स्वामी कमलानंद गिरि जी ने सेवा की परिभाषा देते हुए कहा कि सेवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 04:29 PM (IST)
राम से बड़ा राम का नाम : स्वामी कमलानंद
राम से बड़ा राम का नाम : स्वामी कमलानंद

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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स्वामी कमलानंद गिरि जी ने सेवा की परिभाषा देते हुए कहा कि सेवा में बहुत आनंद है। श्री हनुमान जी ने सेवा द्वारा ही प्रभु श्री राम चंद्र को प्राप्त किया। सच्चे सेवक कभी किसी बात का अभिमान नहीं करते। सेवा की बात करें तो हनुमान जी जैसा राम भक्त सेवक कोई न होगा। हनुमान जी सेवा मांगते नहीं, सेवा पूछते नहीं बल्कि मौका देखते हैं कि प्रभु की सेवा का कोई अवसर मिले तो सबसे पहले आगे बढ़कर उस काम को करें तभी तो प्रभु श्री राम चंद्र जी ने खुश होकर कहा था कि'तुम मम प्रिय भरत सम भाई। अर्थात राम जी ने हनुमान जी की सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें भरत समान भाई बताया। स्वामी ने यह विचार श्री राम भवन में चल रही श्री राम कथा के दौरान बुधवार को प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि राम से बड़ा उनका नाम है। महज राम नाम जपने से ही प्राणी भवसागर से पार हो जाता है। जिस तरह नल व नील द्वारा सागर पार करने के लिए पत्थरों पर राम नाम लिख फेंक दिए थे तो पत्थर भी पानी में तैरने लगे थे। यह सब राम नाम का चमत्कार ही तो है। पूरी वानर सेना राम नाम लिखे तैरते पत्थरों पर चलकर राम नाम के प्रताप से सागर पार कर गई थी। राम नाम में बहुत ताकत है। जो प्राणी सच्चे मन से राम नाम जपता है उसके सभी बिगड़े काम संवर जाते हैं। इसलिए राम नाम जपें।

मन को प्रभु भक्ति में लगाने से सुधरेगा लोक-परलोक

कार्तिक महोत्सव के दौरान स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को मन को प्रभु भक्ति में लगाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि मन को प्रभु भक्ति में लगाओ गे तो लोक व परलोक दोनों ही सुधर जाएंगे। क्रोध न करने की प्रेरणा देते हुए स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए। क्रोध की अग्नि में जलकर बड़े-बड़े सूरमा राख हो गए हैं। क्रोध दिमाग को गर्म कर देता है। क्रोधी व्यक्ति अपना तो नाश करता ही है, साथ ही अपने कुल का भी नाश कर देता है। व्यक्ति को बड़बोलेपन की आदत भी सुधारनी चाहिए। बड़बोले व्यक्ति ज्यादा बोलने की आदत से खुद को दूसरों के सामने सर्वज्ञानी दिखाते हैं, मगर ऐसा कर वह खुद को दूसरों की नजर में गिरा लेते हैं। कभी किसी के लिए कटु वचन न बोलें। हमेशा मधुर व नम्र स्वभाव से बात करें ताकि सामने वाला आपके व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाए। जो खुद दयालु होता है, भगवान उसी पर दया करते हैं जिस व्यक्ति का मन शुद्ध होता है उसे ही भगवान के दर्शन होते हैं। जब तक मनुष्य का मन सांसारिक विषय-विकारों व वासनाओं के प्रति आसक्त रहेगा तब तक व्यक्ति को सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती।


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