शांति सबसे बड़ी नेमत : बसुधा भारती
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्री मुक्तसर साहिब के आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी शुरुआत प्रभु के चरणों में भावो को अर्पित कर की गई। इसके बाद विचारों को प्रकट करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्या साध्वी वसुधा भारती जी ने उपस्थति संगत के साथ विचार सांझे किए। जिसमें उन्होंने कहा कि जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते है जहां प
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्री मुक्तसर साहिब के आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्या साध्वी वसुधा भारती ने कहा कि जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जहां पर अपने आप को कोई रास्ता नहीं मिलता। हर तरफ निराशा ही निराशा नजर आती है। इससे दुखी व्यक्ति आत्म हत्या जैसे अपराध को भी कर लेता है। हर एक इंसान की दिली इच्छा होती है कि उसे शांति मिले लेकिन समस्याओ के काले बादलों में कही शांति लुप्त हो जाती है।
जैसे एक वृक्ष को बड़ा करने के लिए उसकी जड़ों को पानी देने की अवश्यकता है, ठीक ऐसे ही मन में अच्छे विचारों को रोपन के लिए इस की जड़ तक जाने की जरुरत है। मन में बुरी सोच के प्रमाण स्वरूप ही आज अधिकतर लोग डिप्रेशन के मरीज है। हमारी समस्या यदि भीतर है तो समाधान भी भीतर ही है। जरुरत है अत:करण में मन से बुरी सोच को निकालने की।
साध्वी जी ने कहा कि एक बार स्वामी विवेकानंद जी ने कही पर भाषण दिया और जिसमें उन्होने कहा कि जीवन में टेंशन को सदा सदा के लिए समाप्त करने के लिए अटेंशन जरूरी है। समस्याओं से निजात पाने के लिए समाधान होना चाहिए और आत्म ज्ञान ही सरल समाधान है। आत्म ज्ञान का भाव ब्रह्म ज्ञान सात जब हम ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करते है तो हमारा विवेक जाग्रत होती है और विवेकशील प्राणी ही अपने जीवन में सकारात्मक का धनी होता है। आत्म ज्ञान हमारी आत्म शक्ति को कमजोर नही बल्कि बलबान बनाता है तभी हम अपने जीवन को समस्याओं से निजात पा सकते है। अत: यदि हम चाहते है कि हम सदा सदा के लिए उस परम शाश्वत सत्य से जुड़ जाए तो आवश्यकता है ब्रह्म ज्ञान की।