रेडक्रॉस ने दिव्यांगों को बांटे बनावटी अंग
रैड क्रॉस सोसायटी तथा अलीमको की मदद से भाई महा सिंह हाल में एक कैंप लगाया गया। जिसमें दिव्यांगों के लिए बनावटी अंग ट्राइसाइकिलें व्हील चेयर सुनने वाली मशीने आदि सामान बांटा गया।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब
रेडक्रॉस सोसायटी तथा अलीमको की मदद से दिव्यांगों को बनावटी अंग व ट्राइसाइकिल मुहैया करवाने के लिए भाई महा सिंह हाल में एक कैंप लगाया गया। इसमें दिव्यांगों के लिए बनावटी अंग, ट्राइसाइकिलें, व्हील चेयर, सुनने वाली मशीने आदि सामान बांटा गया।
एडीसी रिचा शर्मा ने लाभपात्रियों को ट्राइसाइकिलां तथा बनावटी अंगों में किसी किस्म की परेशानी न आए इसके लिए अलीमको ने टोल फ्री नंबर भी जारी किया है। पूर्व विधायक करण कौर बराड़ ने कहा कि पंजाब सरकार वर्ग के हित में कार्य कर रही है। जिला प्रधान हरचरण सिंह बराड़ ने रेडक्रॉस के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि दिव्यांगों के प्रति समाज का फर्ज बनता है कि वह समाज में उन्हें पूरा मान सम्मान दिया जाए। एसडीएम रणदीप सिंह हीर तथा तहसीलदार सुखबीर सिंह बराड़ ने कहा कि दिव्यांग भी समाज में उतना ही मान सम्मान के हकदार है जितना की दूसरे। पंजाब सरकार के सलाहाकार गुरबाज सिंह ने सरकार की तरफ से दिव्यांग लोगों के लिए चलाई जा रही स्कीमों के बारे में बताया। इस मौके अलीमको से डॉ. अंजनी सिन्हा ने कंपनी के बारे में जानकारी दी। रेडक्रॉस सचिव गोपाल सिंह ने बताया कि कैंप दौरान पहले से पहचान किए गए लाभपात्रियों को सामान बांटा गया। उन्होंने कहा कि अगर कोई नया व्यक्ति भी आया है तो उसका नाप ले लिया गया है और भविष्य में लगने वाले कैंप दौरान उसको सामान उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
इस मौके पर जिला परिषद मैंबर सिमरन जीत सिंह भीना बराड़, प्रभजोत सिंह, राजिद्र सिंह, अमरजीत सिंह, नछत्तर सिंह, सुरजीत सिंह, मधु शर्मा आदि उपस्थित थे।
कैंप में 88 में से 41 लोगों को ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर 13 में से 9 को, सुनने वाली मशीन 168 में से 46 को, स्मार्ट स्टिक तीन, रोलिग चेयर एक, बनावटी अंग 46 में से 20 बांटी गई। जबकि बाकी सामान जोकि बच गया है वह एक महीने तक रखा जाएगा और जरूरतमंद लोगों को फोन कर उन्हें मुहैया करवा दिया जाएगा।
27 वर्ष बाद मिली सरकारी व्हील चेयर
व्हील चेयर लेने आई एक 30 वर्षीय लड़की मनप्रीत कौर ने बताया कि जब वह तीन वर्ष की थी तो बुखार में गलत इंजेक्शन लगने से उसे पोलियो हो गया था। तबसे लेकर अब तक वह ट्राइकिल लेती आ रही है। यह पहली बार है कि उसे प्रशासन की ओर से व्हील चेयर दी गई है। हालांकि पहले भी कई बार उन्होंने पहुंच की थी लेकिन कभी मिली नहीं। समार्ट स्टिक लेने के लिए आई बठिडा की एक लड़की जिसे आंखों से दिखाई नहीं देता। उसकी भी चार वर्ष की आयु में आंखों की रोशनी चली गई थी। जिसने बाद में 12वीं तक की पढ़ाई की। लेकिन कम अंक की वजह से न तो उसे नौकरी मिली और न ही आगे पढ़ पाई। वह अपनी माता समेत ही रहती है जबकि अन्य उनके घर में कोई भी नहीं है। उसकी माता एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करती है।