पांच हजार हेक्टेयर अधिक हुई नरमे की बिजाई
गुलाबी सुंडी जिले के किसानों का नरमे की बिजाई से मोहभंग नहीं हुआ है।
सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब
गुलाबी सुंडी जिले के किसानों का नरमे की बिजाई से मोहभंग नहीं कर पाई। पिछले वर्ष हुए गुलाबी सुंडी के हमले के बावजूद इस बार जिले में नरमे की बिजाई पहले से भी अधिक हुई है। चर्चा यह हो रही थी कि गुलाबी सुंडी के हमले के चलते इस बार जिले में नरमा की बिजाई कम ही होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि कृषि विभाग की ओर से निर्धारित किए गए लक्ष्य से करीब 13 हजार हेक्टेयर रकबे में नरमे की बिजाई कम हुई है, लेकिन इसका बड़ा कारण सरहिद नहर में दरार पड़ने के कारण करीब 20 दिन तक पानी की सप्लाई बंद रहना माना जा रहा है परंतु फिर भी पिछले वर्ष के मुकाबले में नरमा का रकबा बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण नरमा का समर्थन मूल्य से करीब दुगने भाव पर बिकना रहा है।
नरमे की बिजाई खत्म हो गई है। हालांकि बिजाई का उचित समय 15 मई तक ही होता है लेकिन इसके बावजूद किसान 15 जून तक भी इसकी बिजाई करते रहे हैं। बेशक पिछेती नरमा की फसल को कई बीमारियां लगने का खतरा रहता है। परंतु फिर भी किसान बिजाई करते रहते हैं। खेतीबाड़ी विभाग पंजाब ने इस बार मुक्तसर जिले में 50 हजार हेक्टेयर में नरमे की बिजाई का लक्ष्य तय किया था। बुधवार को खेतीबाड़ी विभाग की ओर से तैयार की गई अपनी फाइनल रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार जिले में में 37,080 हेक्टेयर रकबे में नरमे की बिजाई हुई है। हालांकि यह निर्धारित लक्ष्य से करीब 13 हजार हेक्टेयर कम है, लेकिन पिछले वर्ष से करीब पांच हजार हेक्टेयर अधिक है। पिछले वर्ष जिले में 32,189 हेक्टेयर रकबे में नरमा की बिजाई हुई थी। इनसेट
नहर में दरार न पड़ती तो और बढ़ता रकबा : कृषि अधिकारी
जिले के मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि नरमा का रकबा और भी ज्यादा बढ़ सकता था। लेकिन सरहिद नहर में पड़ी दरार ने बिजाई का काम बुरी तरह से प्रभावित करते रख दिया। जिन दिनों में बिजाई चरम पर थी, उन्हीं दिनों में सरहिद नहर में दरार पड़ गई। जबकि नहरी पानी के बिना बिजाई संभव नहीं थी। 20 दिनों बाद नहर में पानी आया। लेकिन तब तक समय निकल गया था। नहर में पानी के आने पर कुछ किसान ही बिजाई कर पाए हैं। अगर दरार न पड़ती तो नरमा की बिजाई लक्ष्य के काफी करीब पहुंच जाती।