प्रशासन ने अभी तक नहीं गिराई असुरक्षित घोषित इमारत
जिला प्रशासन की ओर से असुरिक्षत घोषित की गई इमारत को अभी तक भी न गिराए जाने के कारण यह लोगों के लिए काल का रूप धारण करे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : जिला प्रशासन की ओर से असुरिक्षत घोषित की गई इमारत को अभी तक भी न गिराए जाने के कारण यह लोगों के लिए काल का रूप धारण करे हुए हैं। जोकि किसी भी समय सेंकड़े जान ले सकती हैं, लेकिन प्रशासन इन्हें गिराने में असमर्थ जाप रहा है। एक नहीं शहर में अनेक ऐसी इमारत हैं जोकि अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं। इन दिनों मानसून शुरू हो चुकी है और यदि अधिक बारिश होती है तो इमारतें बड़ा नुकसान भी कर सकती हैं। शहर के रेलवे स्टेशन के पास ही चेरिटेबल धर्मशाला (मेघराज भवन) बना हुआ है। जिसका निर्माण 1914-15 में हुआ था। माल विभाग के रिकार्ड अनुसार खेवट नंबर 430 के अनुसार इसका क्षेत्र 16800 वर्ग फीट है। इसके एक ट्रस्टी रोशन लाल जग्गा ने यह इमारत 4 अप्रैल 1997 को 99 वर्ष के लिए रेडक्रास को लीज पर दे दी। निर्माण के दौरान इमारत में एक भी दुकान नहीं थी लेकिन इस समय इसमें 29 दुकानें है। यह सभी दुकानें अवैध तौर पर बनी हुई हैं। जोकि न तो किराया देते हैं और न ही कोई टेक्स।
अंग्रेजों ने बनाया था कूप
इसके अलावा अंग्रेजी हकुमत के दौरान 1914-15 में ही विश्व युद्ध के बाद भारत में भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई थी। उस समय अंग्रेजी सरकार ने 1918 में फूड ग्रेन स्टोरेज बिन बनाने के आदेश जारी किए थे ताकि मिल्टरी के लिए अनाज रखवाया जा सके। मुक्तसर के रेलवे स्टेशन के पास ही इसका निर्माण किया गया था जिसे लोग कूप भी कहते थे। यह इमारत भी आसुरक्षित घोषित की गई है लेकिन इसे भी अभी तक गिराया नहीं गया है।
अरामवाड़ा की हालत भी दयनीय
इसी तरह शहर के मेन बाजार में एक अरामवाड़ा नाम की इमारत है। जोकि 1836 में मोहलां अरामवाड़ा की पंचायत ने लोगों की सुविधा के लिए अराम करने को बनाई थी। बनाने से पहले इसके रास्ते की चौड़ाई 33 फीट सी लेकिन पंचायत ने निर्माण के दौरान 11 फीट का रास्ता व 11 फीट के बरामदे बनाए थे। रिकार्ड के अनुसार इस समय लाल लकीर खसरा नंबर 1770, 71, 72, 1832 के अनुसार इसकी मालकी नगर कौंसिल की है। लेकिन नगर कौंसिल की अनदेखी के कारण लोगों ने इसकी खरीद फरोखत शुरु कर दी है। यह इमारत किसी भी समय गिर सकती है। माल गोदाम रोड पर भी एक इमारत है जोकि 1902 में बनी थी। इस इमारत का असल मालिक महाशा देवराज का परिवार है जिन्होंने यह इमारत शगन भाई (वासी गुजरात) से 1925 में खरीद की थी। यह ईमारत भी खस्ता हालत में है जोकि लोगों के लिए किसी भी समय जानलेवा साबत हो सकती हैं।
नगर कौंसिल ने निकाले हुए हैं नोटिस : डीसी
डीसी एमके अराविद कुमार से बात की गई उन्होंने कहा कि मेघराज धर्मशाला का अदालत में केस चल रहा है। फिर भी इन्हें नगर कौंसिल की ओर से नोटिस दिए गए हैं। बाकी जो भी जर्जर इमारत हैं वह नगर कौंसिल को कहकर उन्हें नोटिस निकलवा देंगे और जल्द ही इनका मौका देखकर आगामी कार्रवाई कर दी जाएगी।