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शांति के लिए क्रोध पर नियंत्रण जरूरी

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 म

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 03:55 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 03:55 PM (IST)
शांति के लिए क्रोध पर नियंत्रण जरूरी
शांति के लिए क्रोध पर नियंत्रण जरूरी

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि ने कहा कि जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सीख लो। जिसने जीवन से समझौता करना सीख लिया, वह संत समान हो गया। वर्तमान में जीने के लिए सजग रहने और सावधान रहने की आवश्यकता है। स्वामी जी ने कहा कि जिसके भाग्य में जो लिखा है, उसे वही मिलेगा। नाहक परेशान होने से कुछ अतिरिक्त प्राप्त नहीं होने वाला। सर्वोच्च सत्ता ईश्वर के ही हाथ में है। अत: यदि वह आपसे नाराज है तो दुनिया की कोई ताकत आपकी मदद नहीं कर सकती। इसलिए ईश्वर को मनाएं। प्रभु भक्ति कर ईश्वर को प्रसन्न रखें। अगर ईश्वर प्रसन्न रहेंगे तो दुनिया में किसी और से कुछ मांगने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। दिव्यानंद जी ने ये विचार श्री रघुनाथ मंदिर में आयोजित वार्षिक माघ महात्म एवं ज्ञान भक्ति सत्संग कार्यक्रम के दौरान बुधवार को प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कहे।

स्वामी जी कहा कि यदि आपको कोई गाली देता है तो आप उसे आगे से गालियां न दें बल्कि मुस्कुराएं। गालियां देने वाला स्वयं ही शर्मिंदा हो जाएगा। यदि कोई आपको गालियां देता है और आप उसे स्वीकार नहीं करते तो वह गालियां उसी के पास रह जाती हैं। इसलिए गाली-गलौच करने वाले से गाली-गलौच कर बात आगे न बढ़ाएं। दिव्यानंद जी ने कहा कि कुम्हार जब घड़ा बनाता है तो बाहर से तेज थपथपाता है और अन्दर प्यार से सहलाता है। ऐसे ही ईश्वर भी मनुष्य को इस दुनिया में अगर दुख दिखाते हैं तो समझो वह उसे बाहर से थपथपा रहे हैं और अंदर से ईश्वर की कृपा का हाथ है। ईश्वर पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि दुनिया के रैन बसेरे में पता नहीं किसने कितने दिन रहना है। इसलिए इस जीवन को हंसी भरपूर जीएं व खुशियां बांटें। हंसी व खुशियां ही सही मायने में जीवन का गहना हैं। कभी भी किसी के साथ प्रीत की डोर टूटने न दें। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य जब जलती हुई मोमबत्ती को उल्टा करता है तो भी उसकी लौ हमेशा ऊपर की तरफ ही जाती है। जीवन में भी ऐसी कई घटनाएं घटती हैं। जहां मनुष्य का उत्साह व जोश नीचे दब जाता है। उस समय मोमबत्ती को याद करें कि 'मैं मोमबत्ती की तरह हूं।' ऐसा सोचते ही खुद परिस्थिति से बाहर निकल ऊपर आ जाएंगे।


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