10 कदम की दूरी के लिए ढाई किमी करना पड़ सकता है सफर
मोगा सावधान? बैंक कालोनी में नगर निगम चुनावी सड़क बना रही है। इस सड़क से आप गुजर रहे हैं तो दस कदम का रास्ता तय करने के लिए आपको दो से ढाई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ सकता है। जी हां रेस्ट हाउस स्थित एसएसपी आवास की तरफ से फ्रेंड्स कालोनी में प्रवेश करते हुए गांधी रोड पर आने के लिए जब प्रवेश करते हैं तो यहां पर किसी प्रकार की सूचना नहीं है कि आगे काम हो रहा है।
सत्येन ओझा, मोगा
सावधान? बैंक कालोनी में नगर निगम चुनावी सड़क बना रही है। इस सड़क से आप गुजर रहे हैं तो दस कदम का रास्ता तय करने के लिए आपको दो से ढाई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ सकता है। जी हां, रेस्ट हाउस स्थित एसएसपी आवास की तरफ से फ्रेंड्स कालोनी में प्रवेश करते हुए गांधी रोड पर आने के लिए जब प्रवेश करते हैं तो यहां पर किसी प्रकार की सूचना नहीं है कि आगे काम हो रहा है। लगभग आधा किलोमीटर जाने पर पता चलता है कि रास्ता बंद है। वहां से जौहल हेल्थ क्लब, मथुरापुरी होते हुए गांधी रोड आने के लिए दो से ढाई किलोमीटर का रास्ता अतिरिक्त तय करना पड़ेगा। यही स्थिति गांधी रोड से नेचर पार्क की तरफ से आने के लिए भी है। हर दिन लौट यहां से लोग जब लौटते हैं तो निगम को बुरा-भला कहते हैं। उधर, लोगों को हो रही इस परेशानी पर निगम के निगरान इंजीनियर राजिदर चोपड़ा का कहना है कि वे ठेकेदार से कहकर सूचना बोर्ड लगवा देंगे।
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यह है मामला
नगर निगम बोर्ड में मई 2018 में गांधी रोड, मेघावाली गली, मथुरा पुरी, जौहल हेल्थ क्लब रोड, फ्रेंडस कालोनी व बैंक कालोनी में इंटरलाकिग टाइल्स के काम का प्रस्ताव 49 लाख रुपये पास हुआ था। यह काम तीन महीने में पूरा होना था। सबसे पहले गांधी रोड का काम दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था, जो 31 मार्च तक पूरा होना था। मगर, यह काम आज तक पूरा नहीं हुआ है। कुछ महीने निगम के चुनाव जल्द कराने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब इस प्रोजेक्ट के काम में तेजी आई है। अब सड़कें तो बन रही हैं लेकिन निर्माण कार्य के दौरान जनता को परेशानी न हो, इससे संबंधित किसी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
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यह है जमीनी हकीकत
निगम बोर्ड में मई 2018 में तत्कालीन पार्षद कमलेश रानी गर्ग के प्रस्ताव पर 49 लाख का काम मंजूर हुआ था। जनवरी 2020 से पहले गांधी रोड का काम शुरू हो गया था, जो 31 मार्च तक पूर होना था। कारण उस समय फरवरी से पहले चुनाव होने की उम्मीद जगी थी। बाद में कोरोना के कारण काम ठप रहा। मगर, मई से दोबारा काम शुरू हो गया था तब चुनाव अगस्त तक होने की संभावना जगी थी। चुनाव में देरी की भनक लगी तो काम रोक दिया गया। अब दिसंबर के अंत में या जनवरी 2021 की शुरुआत में निगम चुनाव की संभावना जगी तो काम ने तेजी पकड़ ली है लेकिन नियमों को ताक पर रखकर।
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कड़वा सच
सड़क का एस्टीमेट बनाने वाले जेई योगेश गर्ग का कहना है कि नियमानुसार ठेकेदार को सूचना बोर्ड लगाने चाहिए। उन्होंने ठेकेदार को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। जब उनसे पूछा गया कि पत्र तो कई बार लिखे गए हैं, कार्रवाई नहीं होती, क्यों जनता को परेशानी में डाला जाता है। इस पर वह गोल-मोल जबाव देते नजर आए।
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ठेकेदार नहीं सुनता : पूर्व पार्षद
इस क्षेत्र का निगम में प्रतिनिधित्व कर चुकीं पूर्व पार्षद कमलेश रानी का कहना है कि कई बार वह ठेकेदार से इस मामले में कह चुकी हैं, क्योंकि रोज लोग परेशान होकर निगम व उन्हें बुरा भला कहकर लौटते हैं। मगर, ठेकेदार नहीं सुनता है।
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ये कड़वा सच
ठेकेदार की पेमेंट के लिए कमीशन का खेल नया नहीं है। यही वजह है कि ठेकेदार अधिकारियों की नहीं सुनते हैं। कमीशन लेने वाले अधिकारी भी ठेकेदार पर कार्रवाई के नाम पर फाइल में पत्र जारी करने की कार्रवाई पूरी कर देते हैं, लेकिन कार्रवाई किसी ठेकेदार पर नहीं होती। इसका नुकसान जनता की जेब से टैक्स के रूप में होता है। शहर की जनता अकालसर रोड पर यह देख चुकी है। पूरी अकालसर रोड का निर्माण का टेंडर पास हुआ था। एक साल पहले सड़क आधी छोड़कर काम यह कहकर रोक दिया कि बजट पूरा हो गया। नियमानुसार जो सूचना बोर्ड लगता है उसमें सड़क की लागत कितनी है। कितने समय में काम पूरा होगा। जेई, एई, एक्सईएन के फोन नंबर होते हैं। ऐसे में अगर बोर्ड लगेगा तो जनता काम पर निगरानी रखेगी। यही वजह है कि कमीशन के खेल में जनता को अंधेरे में रखा जाता है।