बहुत खास है यह मिट्टी; मानी जाती है गुरु का आशीर्वाद, कई नामचीन गायक आते हैं यहां इसे लेने
सूफी शैली के प्रसिद्ध पाकिस्तानी कव्वाल नुसरत फतेह अली खान की कब्र की मिट्टी लेने के लिए गायक मोगा आते हैं। इस मिट्टी को गुरु का आशीर्वाद मानकर वह अपने पास सहेज कर रखते हैं।
मोगा [सत्येन ओझा]। सूफी शैली के प्रसिद्ध पाकिस्तानी कव्वाल नुसरत फतेह अली खान की कब्र की मिट्टी लेने के लिए गायक मोगा आते हैं। इस मिट्टी को गुरु का आशीर्वाद मानकर वह अपने पास सहेज कर रखते हैं। पार्श्व गायक लखविंदर वडाली और फिरोज खान भी नुसरत की मिट्टी लेने के लिए मोगा शहर के गुरुद्वारा जोहड़ के पास रहने वाले सोनू नुसरत के घर पहुंचे। यहां उन्होंने सोनू से मिट्टी हासिल की। यह कोई पहला मौका नहीं है जब प्रसिद्ध गायक सोनू के घर पहुंचकर नुसरत साहब की कब्र की मिट्टी लेने पहुंचे हों। गायक मास्टर सलीम और नूरां सिस्टर्स भी सोनू नुसरत से नुसरत फतेह अली खान की कब्र की मिट्टी ले जा चुके हैं।
दिल की धड़कन है गुरुओं का आशीर्वाद
गायक लखविंदर वडाली ने कहा कि नुसरत फतेह अली खान जैसे संगीतकार की मिट्टी को अपने साथ रखना उनके लिए सम्मान की बात है। यह मिट्टी हमेशा उन्हें जीवन में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी। संगीत गुरुओं के प्रति ये सम्मान भाव ही है। गुरुओं का आशीर्वाद ही कलाकार के दिल की धड़कन होता है।
पाकिस्तान के फैसलाबाद में हैैं कब्र
नुसरत फतेह अली खान की कब्र पाकिस्तान के फैसलाबाद शहर में है। उनकी कब्र पर अब टाइलें लग चुकी हैं। सोनू रावल उर्फ नुसरत कहते हैं कि उनकी कब्र की मिट्टी को वह उनके आशीर्वाद के रूप में अपने साथ रखते हैं। उन्हें यह मिट्टी 15 साल पहले भारत आए उस्ताद नुसरत फतेह अली खान के भांजे रिजवान उज्जमा अली खान ने सौंपी थी। तब से उन्होंने इस मिट्टी को संभाल रखा है। जब भी गायक आते हैं तो वे इस मिट्टी का कुछ हिस्सा उन्हें सम्मान स्वरूप सौंप देते हैं।
नुसरत के पहले से लेकर अंतिम गाने का रिकॉर्ड है सोनू के पास
सोनू नुसरत उस्ताद नुसरत फतेह अली खान की गायकी के बचपन से शौकीन हैं। उनके पास नुसरत फतेह अली खां के पहले गाने से लेकर अंतिम गाने तक का पूरा रिकॉर्ड मौजूद है। नुसरत के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प किस्सों का इतिहास भी सोनू ने संभाल रखा है। संगीत के माहौल में पले बढ़े सोनू की बहन राखी रावल रामगढिय़ा गल्र्स कॉलेज लुधियाना में संगीत लेक्चरर हैं। सोनू की नुसरत की प्रति ये दीवानगी ही थी जो सोनू को नुसरत के परिवार के करीब ले गई।
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