Move to Jagran APP

जिनकी नहीं जमीन, निगम ने उन्हें दिया 25 लाख डंप का किराया

गांव धल्लेके में नगर निगम के डंप के नाम पर पिछले 14 सालों में 25 लाख रुपये तीन लोग हजम कर गए। साल 2017 में जब पूरे मामले की पोल खुली कि निगम उन लोगों को डंप की जमीन का किराया दे रहा है जो जमीन के मालिक ही नहीं है इसके बाद किराया मांगने वाले तो आज तक नहीं आए लेकिन निगम की राशि फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर हजम करने वालों पर तीन साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। हेराफेरी का पूरा मामला नगर निगम की फाइलों में तीन साल से कैद है। नगर निगम ने शहर से हर दिन 70-75 मीट्रिक टन निकलने वाले कूड़े के डंप के लिए धल्लेके में चार एकड़ जगह किराये पर ली थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:05 AM (IST)
जिनकी नहीं जमीन, निगम ने उन्हें दिया 25 लाख डंप का किराया
जिनकी नहीं जमीन, निगम ने उन्हें दिया 25 लाख डंप का किराया

सत्येन ओझा, मोगा : गांव धल्लेके में नगर निगम के डंप के नाम पर पिछले 14 सालों में 25 लाख रुपये तीन लोग हजम कर गए। साल 2017 में जब पूरे मामले की पोल खुली कि निगम उन लोगों को डंप की जमीन का किराया दे रहा है, जो जमीन के मालिक ही नहीं है, इसके बाद किराया मांगने वाले तो आज तक नहीं आए, लेकिन निगम की राशि फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर हजम करने वालों पर तीन साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। हेराफेरी का पूरा मामला नगर निगम की फाइलों में तीन साल से कैद है।

loksabha election banner

नगर निगम ने शहर से हर दिन 70-75 मीट्रिक टन निकलने वाले कूड़े के डंप के लिए धल्लेके में चार एकड़ जगह किराये पर ली थी। नगर निगम में 30 सितंबर 2003 को पंजाब सरकार की ओर से जारी पत्र के आधार पर जमीन किराये पर देने वालों से कुटेशन मांगी गई थी, जिसमें तीन कुटेशन आई थीं। इनमें न्यूनतम कुटेशन चार एकड़ जगह 35 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति साल के किराये पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। निगम ने 21 अक्टूबर 2003 को इस मामले में भागसिंह पुत्र टहल सिंह निवासी धल्लेके के साथ दो साल के लिए एग्रीमेंट किया था। इन्हीं लोगों के साथ 22 अक्टूबर 2005 में तीन साल के लिए फिर एग्रीमेंट आगे बढ़ा दिया। 22 दिसंबर 2008 को फिर एग्रीमेंट की रिन्यू किया गया। इस बार निगम ने बिना कुटेशन मांगे फिर से उसी जगह का एग्रीमेंट की अवधि तीन साल के लिए बढ़ा दी, साथ ही जमीन का किराया भी 35000 हजार रुपये प्रति एकड़ की जगह बढ़ाकर 42 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया।

असल में जिस जगह का किराया तीन लोग ले रहे थे वह जगह शामलाट पत्ती की है। शामलात पत्ती की वो जगह होती है जो नई जमाबंदी के दौरान जमीन घटने या बढ़ने पर सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए छोड़ दी जाती है। रेवेन्यू रिकार्ड में उसके 12 मालिक हैं, लेकिन योजनाबद्ध ढंग से तीन लोगों ने इसका फायदा उठाया, 14 साल में निगम से 25 लाख रुपया किराया वसूला, पोल खुली तो किनारे हो गए।

ऐसे पकड़ी गई हेराफेरी

साल 2017 में मामला उस समय पकड़ में आया जब तत्कालीन निगम कमिश्नर जगविदर सिंह ग्रेवाल ने एग्रीमेंट की फाइल चेक की। रिकॉर्ड चेक करने पर पता चला कि डंप के लिए खसरा संख्या-121-08 का एग्रीमेंट किया जा रहा है, जबकि इस जमीन का मालिक बताने वालों ने निगम में खसरा संख्या 138-2-1 की मालिकी दी थी। जिस जमीन का मालिक बताकर वे निगम से किराया ले रहे थे, उसकी मालिकी का कोई सुबूत ही नहीं दे सके थे। इस पर ग्रेवाल ने मालिकी का सबूत मांगने के साथ ही एग्रीमेंट की फाइल नए सिरे से तैयार करने के आदेश जारी कर दिए। सूत्रों का कहना है कि ग्रेवाल की इस कार्रवाई के बाद उनका तबादला हो गया, बाद में निगम के सेनीटेशन विभाग ने मामले को दबा दिया। इसके बाद नगर निगम कूड़े का डंप उसी जगह पर बिना किसी नए एग्रीमेंट के डाल रही है, लेकिन मामले का पर्दाफाश होने के तीन साल बाद भी कोई व्यक्ति अब न तो किरायेदारी का क्लेम करने पहुंचा है न ही एग्रीमेंट खत्म होने पर जमीन खाली करने का क्लेम कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.