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साध्वियों को गोदनामा पर स्वामी सहज प्रकाश के हस्ताक्षर फर्जी निकले

मोगा गीता भवन ट्रस्ट की प्रापर्टी विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। दो साध्वियों को गोद लेने के लिए स्वामी सहज प्रकाश की ओर से तैयार किए गए गोदनामा पर स्वामी सहज प्रकाश के फर्जी हस्ताक्षर व प्रस्ताव रजिस्टर में टैंपरिग की जांच रिपोर्ट आने के बाद ट्रस्ट की शिकायत पर इस मामले में एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल ने जांच डीएसपी सिटी को सौंप दी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:59 AM (IST)
साध्वियों को गोदनामा पर स्वामी सहज प्रकाश के हस्ताक्षर फर्जी निकले
साध्वियों को गोदनामा पर स्वामी सहज प्रकाश के हस्ताक्षर फर्जी निकले

जागरण संवाददाता, मोगा

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गीता भवन ट्रस्ट की प्रापर्टी विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। दो साध्वियों को गोद लेने के लिए स्वामी सहज प्रकाश की ओर से तैयार किए गए गोदनामा पर स्वामी सहज प्रकाश के फर्जी हस्ताक्षर व प्रस्ताव रजिस्टर में टैंपरिग की जांच रिपोर्ट आने के बाद ट्रस्ट की शिकायत पर इस मामले में एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल ने जांच डीएसपी सिटी को सौंप दी है।

यह है मामला : ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन स्वामी सहज प्रकाश ने ट्रस्ट के चेयरमैन रहते हुए दो साध्वियों तृप्ता व पप्पी रानी (सुखजीत कौर) को गोद लेने के लिए एक गोदनामा तैयार किया है। हस्तलेख विशेष्ज्ञज्ञ की रिपोर्ट में उस पर स्वामी सहज प्रकाश के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए हैं। गोदनामा की कोई तिथि अंकित नहीं की गई है। गोदनामा में स्वामी सहज प्रकाश ने सिर्फ इतना जिक्र किया है कि उन्हें कोरोना हुए दस दिन हो चुके हैं। इसके आधार पर संभावना है कि गोदनामा उनके मोगा में एक निजी अस्पताल में भर्ती के दौरान तैयार किया गया। उस समय तक स्वामी की कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं आई थी।

एसएसपी को ट्रस्ट की ओर से सौंपी गई शिकायत में ट्रस्ट ने सवाल उठाया है कि अगर गोदनामा स्वामी के कोरोना संक्रमण होते हुए तैयार किया गया है तो किन लोगों ने यह गोदनामा तैयार किया है। अस्पताल में किसने कोरोना संक्रमण के बावजूद गोदनामा बनाने की अनुमति दी। जिन लोगों ने गोदनामा तैयार किया, क्या उनका कोरोना संक्रमण का टेस्ट हुआ। अगर हुआ तो कहां हुआ। इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है।

दिल्ली के हस्त लेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट में दोनों साध्वियों को ट्रस्टी बनाने वाले प्रस्ताव में भी टैंपरिग का मामला सामने आया है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि 2018 व 2020 को रजिस्टर में दर्ज किए गए प्रस्ताव में एक ही व्यक्ति की लिखाई है। ये एक ही पैन से लिखे गए हैं और एक ही प्रकार की स्याही का प्रयोग किया गया है। ऐसे में रिपोर्ट में शंका व्यक्त की गई है कि कैसे संभव है कि एक व्यक्ति दो साल तक एक ही पैन का प्रयोग करता रहा हो, उसकी स्याही भी दो साल में खत्म न हुई हो।

रजिस्टर में पहला प्रस्ताव 7 मार्च 2018 को लिखा गया है, जिसमें साध्वी तृप्ता व पप्पी रानी को ट्रस्टी बनाने का प्रस्ताव है। दूसरी बैठक आठ महीने बाद 6 नवंबर, 2018 को हुई जिसमें दोनों नई बनीं ट्रस्टी साध्वियों के नाम का कोई जिक्र नहीं किया गया है। तीसरा प्रस्ताव 9 नवंबर, 2020 को डाला गया है जिसमें स्वामी सहज प्रकाश ने अपनी प्रापर्टी दोनों साध्वियों के नाम ये कहते हुए की है कि बीमारी के दौरान इन्हीं दोनों साध्वियों ने उनकी सेवा की। इसके चलते वह अपनी प्रापर्टी दोनों साध्वियों के नाम कर रहे हैं।

गीता भवन ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार सुनील गर्ग एडवोकेट ने बताया कि हस्त लेख विशेषज्ञ की इसी रिपोर्ट के आधार पर ट्रस्ट की प्रापर्टी हथियाने के लिए जालसाजी किए जाने की आशंका होने पर जांच के लिए शिकायत एसएसपी को दी है, ताकि अगर कोई भी व्यक्ति गीता भवन ट्रस्ट की प्रापर्टी हथियाना चाहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। गीता भवन की प्रापर्टी मोगा, हरिद्वार व दिल्ली में एक हजार करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।


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