10 साल से पराली नहीं जलाई, सीधे की गेहूं की बिजाई
एक ओर जहां किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को जलाकर पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं वहीं गांव डाला के किसान ने बलजिंदर सिंह ने 10 साल से पराली को आग नहीं लगाई और अब धान की पराली को आग लगाए बिना ही गेंहू की बिजाई की है।
संवाद सहयोगी, मोगा : एक ओर जहां किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को जलाकर पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं, वहीं गांव डाला के किसान ने बलजिंदर सिंह ने 10 साल से पराली को आग नहीं लगाई और अब धान की पराली को आग लगाए बिना ही गेंहू की बिजाई की है।
किसान बलजिदर सिंह बल्ली ने कहा कि चाहे किसान कर्ज की मार के नीचे दबा हुआ है, जिसको लेकर वह पराली को जलाने के लिए मजबूर हो रहा है। यदि सरकार समय रहते किसानों की मदद करे तो इस समस्या का हल निकल सकता है। किसान बलजिदर सिंह ने कहा कि उसने धान की फसल एमएसएम से कटाई है, उपरांत रोटावेटर लगाया फिर उन्होंने अपने खेतों में गेहूं की बिजाई की। उन्होंने कहा कि वह पिछले 10 साल से ऐसे ही गेहूं की बिजाई करते आ रहे हैं । उन्होंने कहा कि पराली न जलाने से जमीन की उर्वरता शक्ति भी बनी रहती है और मिट्टी में फसल के लिए लाभदायक कीट भी बचे रहते है।
गांव रामूवाला नवां के सरपंच जसविदर सिंह बूटा ने कहा कि धान की पराली को मिलाकर सीधे तौर पर गेहूं की बिजाई करने वाले किसान डाला निवासी बलजिदर सिंह बल्ली ने जहां क्षेत्रों में फसल के मित्र कीटों को सुरक्षित रखा है, वहीं वातावरण को भी दूषित होने से बचाया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ऐसे किसानों की आर्थिक मदद करने के लिए सोसायटियों में मशीनरी ज्यादा भेजी जाए ,ताकि किसानों को पराली जलाने से निजात मिल सके।