नई शिक्षा नीति पर विद्यानों ने की चर्चा, बताई कमियां
नछत्तर भवन में गत दिवस डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने प्रदेश स्तरीय सेमिनार करवाया।
संवाद सहयोगी, मोगा : नछत्तर भवन में गत दिवस डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने प्रदेश स्तरीय सेमिनार करवाया। इस मौके पर प्रो. रमिदंर सिंह मुख्य वक्ता शामिल हुए। किसानी संघर्ष को समर्पित समिनार का आगाज किसान संघर्ष के दौरान मारे गए 54 किसानों को श्रद्धांजलि दे कर किया गया।
इस मौके पर शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए प्रो. रमिदर सिंह ने कहा कि सारी समस्याओं की जड़ पूंजीवाद है तथा केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति पूंजीवाद का बदला रूप है। जिसकी शुरुआत तीन दशक पहले किए गए समझौते से हुई थी। उन्होंने देश के प्रमुख विद्वान प्रो. जी तिलक के दिलचस्प हवालों से बताया कि शिक्षा, सेहत, सड़कों की सहूलियत देने वाली सरकार इन सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण करके खुद को चुनी हुई लोकतंत्र सरकार नहीं कह सकती। उन्होंने कहा कि ऐसी नीतियां संविधान में बिना संशोधन किए लागू नहीं की जा सकती हैं। लेकिन नई शिक्षा नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर के भारतीय विद्वानों को दूर रखकर संसद में बिना बहस के देश पर लगाई गई है। उन्होंने कहा कि इस नीति में लाया गया निजीकरण सरकार का चुनाव है, जो कि लोगों से किए वादों व लोकतंत्र की जनकल्याण की मूल भावना से द्रोह है। सेमिनार में यशपाल ने कहा कि शिक्षा नीति में जो दर्ज है वह दर्शाता कुछ और है, जो केंद्र की निजीकरण की नीति का एक हिस्सा है, जिसने स्कूल, कालेज व यूनिवर्सिटी की पढ़ाई को शिक्षा सुधारों के नाम पर मुनाफे का धंधा बनाने के लिए निजी हाथों में सौंपना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्व व्यापार संस्था के दिशा-निर्देशों अनुसार केवल प्राइमरी स्तर की शिक्षा पर ही पैसा खर्च करेगी। जबकि अगली शिक्षा को लोगों की पहुंच से बाहर किया जाएगा।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पास किए खेती काले कानूनों की तरह यह शिक्षा नीति भी ऐसा काला दस्तावेज है। सेमिनार में डीटीएफ के प्रदेश अध्यक्ष दिगविजयपाल शर्मा, प्रदेश सचिव सरवन सिंह औजला, सीनियर नेता बलवीर चंद लोंगोवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश भक्तों, विज्ञानियों, बुद्धिजीवियोंव समाज का भला चाहते विद्वानों की लोक पक्षीय विचारधारा के उलट है।
इस मौके पर मंच का संचालन प्रदेश के वित्त सचिव जसविदर सिंह ने किया। इस मौके पर गुरमीत कोटली, हरदेव मुल्लांपुर, कर्मजीत, राजविदर वैहनीवाल, अमनदीप मटवानी, जगवीरन कौर, गगनदीप पाहवा, लखवीर हरीके, बलराम शर्मा, मनजिदर चीमा, हरभगवान उपस्थित थे।