बरसाती नाले को कहीं कमजोर सीवरेज व अतिक्रमण निगल गया
मोगा आधुनिक मोगा के जन्मदाता डॉ. मथुरादास के समय में न सिर्फ न्यू टाउन के रूप में नियोजित कॉलोनी की नींव रखी गई बल्कि उस समय बरसात में शहर टापू न बन जाए इसका पूरा ध्यान रखा गया। बरसाती नाला न सिर्फ शहर को जलभराव से बचाता था बल्कि नगर निगम की आय का साधन भी बना हुआ था।
सत्येन ओझा, मोगा
आधुनिक मोगा के जन्मदाता डॉ. मथुरादास के समय में न सिर्फ न्यू टाउन के रूप में नियोजित कॉलोनी की नींव रखी गई बल्कि उस समय बरसात में शहर टापू न बन जाए, इसका पूरा ध्यान रखा गया। बरसाती नाला न सिर्फ शहर को जलभराव से बचाता था बल्कि नगर निगम की आय का साधन भी बना हुआ था। तब राजिदर सिंह नामक एक जमींदार बरसाती नाले के पानी का ठेका लेते थे और राजिदरा एस्टेट क्षेत्र में तब उनके खेतों में ये पानी जाता था। यह ठेका पूरे साल का होता था। समय के साथ ही कहीं कमजोर सीवरेज लाइन विशाल बरसाती नाले को निगल गई और कहीं बढ़ती आबादी के बीच होते अवैध निर्माणों की दौड़ में बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के नीचे नाला दफन हो गया।
नगर निगम के पूर्व पार्षद कृष्ण सूद बताते हैं कि आज से लगभग 30-40 साल पहले तक शहर में जलभराव नहीं होता था। उस समय शहर के नाले-नालियों की व्यवस्था इस प्रकार की बनाई गई थी कि बरसात कितनी भी तेज क्यों न हो जाए, बरसात बंद होते ही सड़कों पर पानी नहीं भरता था। उस दौरान जलभराव क्या होता है लोग नहीं जानते थे।
लगभग 11 किलोमीटर लंबा बरसाती नाला रेलवे रोड को छूते हुए चैंबर रोड, न्यू टाउन, मित्तल रोड, नौ नंबर न्यू टाउन होते हुए स्टेडियम रोड की तरफ निकलता था। यहां बरसाती नाले से आने वाला पानी ठेकेदार राजिदर सिंह के खेतों में जाता था। लंबे समय तक बरसाती नाले का ठेका राजिदर सिंह के पास रहा, जिसके चलते उनका नाम ही गंदे नाले वाले राजिदर सिंह पड़ गया था। राजिदर सिंह उस समय शहर के बड़े जमींदारों में से एक थे। उन्हीं के नाम पर राजिदरा एस्टेट के रूप में शहर की पहली पॉश कॉलोनी बसाई गई है।
नाले के दूसरी तरफ मेन बाजार से होते हुए कोटकपूरा बाईपास होते हुए पानी बुक्कनवाला रोड की ओर जाता था, जिसमें से शहर का बरसात के दिनों का पानी ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में नालियों का पानी भी बरसाती नाले के माध्यम से शहर के बाहर पहुंचता था।
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यहां हे नाले के अवशेष
मित्तल रोड, नौ नंबर न्यू टाउन में ही अब नाले के कुछ अवशेष रह गए हैं। प्रताप रोड पर नाला बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के साथ हुए अवैध अतिक्रमण में पूरा दफन हो गया। अब तो वहां के लोगों को याद भी नहीं है कि यहां पर कभी कोई नाला भी हुआ करता था। चेंबर रोड पर भी अब नाले का कोई चिन्ह नहीं बता है। मेन बाजार का पूरा नाला या तो बंद कर दिया गया या फिर बिल्डिंगों के नीचे आ गया। यही वजह है कि हल्की सी भी बरसात होने पर पूरा मेन बाजार तालाब का रूप धारण कर लेता है।