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सावन में चिंतपूर्णी में अष्टमी मेले पर पाबंदी से कारोबार में मंदी

मोगा कोविड-19 के कारण मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इस बार सावन के मेले की मार का भी सामना करना पड़ेगा। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चितपूर्णी धाम मंदिर में होने वाले सावन अष्टमी मेले पर हिमाचल सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 10:44 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 10:44 PM (IST)
सावन में चिंतपूर्णी में अष्टमी मेले पर पाबंदी से कारोबार में मंदी
सावन में चिंतपूर्णी में अष्टमी मेले पर पाबंदी से कारोबार में मंदी

तरलोक नरूला, मोगा

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कोविड-19 के कारण मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इस बार सावन के मेले की मार का भी सामना करना पड़ेगा। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चितपूर्णी धाम मंदिर में होने वाले सावन अष्टमी मेले पर हिमाचल सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। हर वर्ष पंजाब से लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए सावन के महीने में झंडे लेकर मां चितपूर्णी धाम में झंडा चढ़ाने जाते थे। इस दौरान वे माता के झंडे, चुनरी, माता का श्रृंगार आदि बड़ी संख्या में खरीदते थे। मगर, इस बार कोरोना महामारी के कारण चितपूर्णी धाम व माता नैना देवी में यह मेला नहीं लग रहा। इससे उक्त सामान से जुड़े व्यापारियों को बढ़े स्तर पर नुकसान झेलना पड़ रहा है।

बता दें कि सावन का अष्टमी मेला मां के भक्तों के लिए बड़ा महत्वशाली होता है। वहीं इससे जुड़े व्यापारियों को भी इस मेले से काफी उम्मीदें होती थीं। इन दिनों माता को अर्पण करने के लिए झंडे, माता के चोले,माता का श्रृंगार आदि की बड़ी मांग रहती थी। यही कारण है कि व्यापारी उक्त सीजन से पहले ही अधिक मात्रा में सामान का स्टॉक करते रहे हैं। मगर, कोरोना के चलते इस बार इन वस्तुओं की बिक्री नहीं होगी। इससे जुड़े व्यापारियो का कहना है कि व्यापार की हालत इतनी बुरी है कि सामान के डिब्बों को खोलने तक का अवसर भी नहीं मिला है।

व्यापारियो का कहना है कि पहले से ही लॉकडाउन के बाद बाजार खुलने से काम ज्यादा चला नहीं। उम्मीद थी कि सावन का अष्टमी मेला आने पर व्यापार चलेगा, लेकिन इसके स्थगित होने से उनकी यह आस भी खत्म हो गई है। उन्होंने सरकार से मांग कि मध्यम वर्ग के व्यापारियों के लिए भी सरकार को कोई न कोई माली सहायता प्रदान करनी चाहिए।

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व्यापार ठप होकर रह गया

सेतीया क्लॉथ हाउस के मालिक सुभाष सेतीया ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षो से माता के झंडे बनाकर होलसेल व रिटेल में बेचते आ रहे हैं। उनका कारोबार मार्च के नवरात्रि से आरंभ हो जाता था। सावन का अष्टमी मेला तो उनके व्यापार में मुख्य होता था। इसी महीने झंडों की बिक्री ज्यादा होती है। जिसके लिए वह अधिक मात्रा में सामान भी स्टॉक कर लेते थे। मगर, इस बार कोरोना के कारण सावन अष्टमी का मेला स्थगित किया गया है। इसलिए उनका व्यापार ठप होकर रह गया है। उनका कहना है कि इस महीने लगभग दो हजार के करीब होलसेल व रिटेल में माता के झंडों के अलावा माता की चुनरी, माता का श्रृंगार आदि की बिक्री होती थी। मगर, इस बार उनके व्यापार को भी कोरोना की मार को सहना होगा। सरकार को चाहिए की हम जैसे मध्यम वर्ग के व्यापारियों को भी कुछ राहत प्रदान करे।

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प्रतिबंध लगने से व्यापार प्रभावित

मेजर सिंह एंड संज बांस व्यापारी के मेजर सिंह का कहना है कि बांस का उनका पुस्तैनी व्यापार है। सावन महीने में माता के झंडे बनाने के लिए लगभग एक हजार छोटे-बड़े बांस की बिक्री हो जाती थी। मगर, इस बार सावन अष्टमी मेला स्थगित होने से उनके व्यापार को नुकसान हुआ है। आगे भी कोई आस नजर नहीं आ रही। उनका कहना है कि बांस की संभाल के लिए उन्हें सर्योक दवा का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा। उनका कहना है कि दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते लोगों का ध्यान पर्वो की तरफ कम होता जा रहा है। दूसरी और सरकार द्वारा भी त्योहारों को मनाने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यही कारण है कि कारोबार ठप होते जा रहे है।


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