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अमेरिका में बैठा पन्नू मोगा में चला रहा था खालिस्तान की पाठशाला

मोगा आतंकवाद की विभीषिका झेल चुके मोगा जिले को अमेरिका में बैठे सिख फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत पन्नू ने खालिस्तान की पाठशाला बना लिया था। इसके लिए वह अपने गुर्गे के रूप में लुधियाना के गांव पक्खोवाल के युवक जग्गा का इस्तेमाल कर रहा था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 10:58 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 10:58 PM (IST)
अमेरिका में बैठा पन्नू मोगा में चला रहा था खालिस्तान की पाठशाला
अमेरिका में बैठा पन्नू मोगा में चला रहा था खालिस्तान की पाठशाला

सत्येन ओझा/राजकुमार राजू, मोगा

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आतंकवाद की विभीषिका झेल चुके मोगा जिले को अमेरिका में बैठे सिख फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत पन्नू ने खालिस्तान की पाठशाला बना लिया था। इसके लिए वह अपने गुर्गे के रूप में लुधियाना के गांव पक्खोवाल के युवक जग्गा का इस्तेमाल कर रहा था। जग्गा पिछले दो सालों से युवाओं को खालिस्तान की मूवमेंट में हिस्सा लेने के उकसा रहा था। वह सोशल मीडिया के माध्यम से सिख फॉर जस्टिस के लिए वोटिग भी करा रहा था। इस बात का खुलासा इंद्रजीत सिंह ने दिल्ली में पूछताछ के दौरान किया है। वह खुद भी जग्गा से प्रेरित होकर खालिस्तान मूवमेंट में शामिल हुआ था। उसी ने सिख फॉर जस्टिस मुहिम के लिए आठ अगस्त को अपना वोट डलवाया था।

पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस ने जसपाल सिंह के पुलिस हिरासत में आने से पहले ही गांव रौली स्थित उसके कैफे से 29 अगस्त की दोपहर को कंप्यूटर, लैपटॉप आदि सामान कब्जे में ले लिया है। गांव रौली की एक गली में जसपाल का कैफे हैं। कैफे के बाहर किसी प्रकार का बोर्ड आदि नहीं लगा है। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कैफे संचालक जसपाल व उन्हीं के गांव का इंद्रजीत सिंह इस प्रकार की गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि वे दोनों गांव के लोगों के प्रति सहज थे। खुद जसपाल सिंह कबड्डी खिलाड़ी था। खेल के दौरान दो साल पहले उसकी कमर में चोट आ गई थी, तब से खेल बंद था। इंद्रजीत सिंह अक्सर दिन के समय में कैफे पर ही मौजूद रहता था। जिस प्रकार से जसपाल के कब्जे से सिख फॉर जस्टिस मूवमेंट से जुड़ी युवकों के साथ बैठकों की वीडियो मिली हैं, उससे इस बात की आशंका है कि जसपाल के कैफे का इस्तेमाल इस मुहिम के लिए किया जाता होगा।

आशंका व्यक्त की जा रही है कि कब्जे में लिए कंप्यूटर व लैपटॉप से खालिस्तानी मूवमेंट की अहम परतें सामने आ सकती हैं।


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