यू-ट्यूब पर कोरोना के प्रति जागरूक कर रहीं शिवानी की कविताएं
कोविड-16 संक्रमण के दौरान हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से कोरोना की जंग जीतने के लिए प्रयासरत है उन्हीं में से एक मोगा शहर के गीता कॉलोनी की युवा कवियित्री शिवानी गुप्ता की कोविड-19 के प्रति जागरूक करतीं हुईं कविताएं यू ट्यूब पर काफी लोकप्रिय हो रही हैं। कोरोना संक्रमण
जागरण संवाददाता, मोगा
कोविड-19 संक्रमण के दौरान हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से कोरोना की जंग जीतने के लिए प्रयासरत है। उन्हीं में से एक मोगा शहर के गीता कॉलोनी की युवा कवियित्री शिवानी गुप्ता की कोविड-19 के प्रति जागरूक करतीं हुईं कविताएं यू ट्यूब पर काफी लोकप्रिय हो रही हैं।
कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालातों पर शिवानी ने अपनी कविता में उन कारणों को भी बेबाकी से उभारा है, जिनके कारण आज पूरी दुनिया गंभीर संकट में फंसी दिखाई दे रही है।
हंसराज महिला महाविद्यालय जालंधर में बीए फाइनल की छात्रा शिवानी की कोविड-19 पर कविता सबसे ज्यादा लोकिप्रिय हो रही है। इस कविता में शिवानी ने-'कुदरत का प्रकोप, कहर, किस तरह काल बनकर आया, न तो तू जान पाया, न तो कोई समझ पाया,' से टेक्नोलॉजी के दौर में खुद को बुलंदियों पर होने का दंभ भरने वाले लोगों को आइना दिखाया है। वहीं नसीहत भी दी है कि -'संभल जा मनुष्य अब तू जरा, न उजाड़ अपने भविष्य को जरा, अपने लालच को कर दे भस्म, न दे तू मां धरती को जख्म, बना दे तू इस धरती को स्वर्ग।'
शिवानी बताती हैं कि बचपन से ही पढ़ने व लिखने का उन्हें शौक रहा है। मन के भावों को शब्दों में पिरोते-पिरोतेकविताओं का बड़ा संग्रह हो चुका है। शिवानी तीन साल पहले जालंधर में दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित हेल्मेट पहनो अभियान का भी हिस्सा रह चुकी हैं जिसमें एक साथ पांच हजार से ज्यादा लोगों ने हेल्मेट पहनकर विश्व रिकार्ड अटैम्ट किया था। उस समय भी शिवानी ने अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं को राह दिखाने का प्रयास किया था। शिवानी कहती हैं कि वे किसी एक विषय पर नहीं बल्कि समाज में जब भी कुछ अव्यहारिक या अनुचित देखती हैं तो उससे उठने वाली पीड़ा ही उनकी कविता का रूप ले लेती है। उन्होंने अपनी कविताओं में आधुनिक समय में युवा पीढ़ी में रिश्तों में खत्म होती संवेदनाओं पर भी अपनी कलम बखूबी चलाई है। शिवानी की कविताओं की खास बात यह है कि सुनने वाला खुद कविता में अपना किरदार महसूस करता है।