शहीद जैमल ¨सह की अस्थियों से लिपटकर फूट-फूट कर रोने लगीं मां, पत्नी और बहन
शहीद जैमल ¨सह के परिजनों ने रविवार को शहीद जेमल ¨सह की अस्थियों को श्री गोइंदवाल साहिब स्थित दरिया में विसर्जन किया। एक दिन पहले जहां शहीद की अंतिम यात्रा में हुजूम उमड़ा पड़ा था।
जागरण संवाददाता, मोगा : शहीद जैमल ¨सह के परिजनों ने रविवार को शहीद जेमल ¨सह की अस्थियों को श्री गोइंदवाल साहिब स्थित दरिया में विसर्जन किया। एक दिन पहले जहां शहीद की अंतिम यात्रा में हुजूम उमड़ा पड़ा था। वहीं, दूसरे दिन अस्थि विसर्जन के मौके पर शहीद के परिवार के चंद रिश्तेदार और परिजन ही शामिल थे। पति की शहादत की बात सुनकर बेसुध हुई सुखजीत कौर को जब होश आया तो उसने सबसे पहली प्रतिक्रिया यही दी थी कि सरकार और लोग चार दिन चर्चा करते हैं उसके बाद भूल जाते हैं। अस्थि विसर्जन के मौके पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। अपने बड़े भाई जैमल ¨सह की अस्थियों को लेकर छोटा भाई नसीब ¨सह परिवार और रिश्तेदारों के साथ श्री गोइंदवाल साहब रवाना हुआ तो एक बार फिर शहीद जैमल ¨सह की मां सुख¨वदर कौर, पत्नी सुखजीत कौर, बहन हर¨जदर कौर अस्थियों से लिपटकर फूट-फूट कर रो पड़ी।
तीन महीने से तड़पते रहे बात करने को
इन सबसे ज्यादा मलाल अस्थियां विसर्जन को लेकर ले जा रहे छोटे भाई नसीब ¨सह को था। नसीब ¨सह ने बताया कि किसी बात को लेकर पिछले तीन महीनों से नसीब ¨सह का अपने बड़े भाई जैमल ¨सह के साथ मनमुटाव चल रहा था। वे दोनों आपस में बात नहीं कर रहे थे। अस्थियां लेकर रवाना होते हुए नसीब ¨सह ने बताया हम दोनों भाइयों के बीच में तीन महीने से बात जरूर नहीं हो रही थी, लेकिन दोनों के बीच प्रेम इतना था कि दोनों एक दूसरे के साथ तड़प बात करने को तड़प रहे थे। बस बात सिर्फ यहां पर अटकी हुई थी कि पहले बात करने की पहल कौन करे। बड़े भाई की तरफ से भी किसी और के माध्यम से सूचना मिली थी वह उससे बात करना चाहता है। उससे भी जब नहीं रहा गया तो उसने भी यही संदेश अपने बड़े भाई को भेजा था, लेकिन शायद कुदरत को यह मंजूर नहीं था चाह कर भी बात नहीं हो पाई।
बचपन से था देश सेवा का जज्बा
विसर्जन के लिए भी अस्थियां लेकर जाते समय बिलख बिलख कर रो पड़ी मां ने रहस्योद्घाटन किया कि जेमल ¨सह के अंदर देशभक्ति का जज्बा बचपन से ही भरा पड़ा था। 18 साल पूरे होने के बाद ही उसने सुरक्षा बल में शामिल होने कि ठान ली थी। लेकिन तब उसकी छाती का साइज छोटा था जिस कारण कई बार टेस्ट देने के बाद भी उसका सिलेक्शन नहीं हो पाया। बाद में उसने जिम ज्वाइन किया, खेल शुरू किए, क्योंकि उसके अंदर देश सेवा का जज्बा था। अपनी छाती को चौड़ा किया और आज उसी छाती ने शहीद होकर भी मां-बाप को गौरवान्वित किया है। वह देश के लिए शहीद हुआ है।