राजनंदनी हाल में सत्संग करवाया गया, बड़ी संख्या में पहुंच श्रद्धालु
देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदनी हाल में 64 वां अध्यात्म सत्संग करवाया गया।
संवाद सहयोगी, मोगा : देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदनी हाल में 64 वां अध्यात्म सत्यार्थ सत्संग बड़ी श्रद्धा भाव भक्ति के साथ किया गया। आचार्य सुनील कुमार शास्त्री ने कहा कि जिस प्रकार विद्यार्थी को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए विद्याध्ययन करना जरूरी होता है और सेना के जवान को शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण लेना जरूरी होता है उसी प्रकार साधक को वासनाओं पर नियंत्रण करने के लिए साधना का करना आवश्यक होता है। यह संभव है कि जो व्यक्ति निर्जन स्थान पर साधना कर रहे हैं उनके मन में वासना के विचार न आते हों परंतु उनका बासनाओं पर नियंत्रण हो गया है यह मान लेना अज्ञानता है। सफलता और असफलता का पता तो परीक्षा के समय ही चलता है। उन्होंने कहा कि जब तक शत्रु सामने नहीं है तब तक व्यक्ति स्वयं को विजेता मानता रहे तो यह बुद्धिमानी नहीं है। शत्रु को हराना वास्तविक विजय है। सभी विषय सामने उपस्थित हों उनके भोग का मन में विचार भी न आना बासनाओं पर नियंत्रण हो जाना है। संसार छोड़ कर भाग जाने से वासनाओं पर विजय पाना संभव नहीं है इसलिए साधना करते हुए प्रतिदिन वासनाओं से युद्ध करना चाहिए। भोग सामग्री सामने होने पर उससे बचने का प्रयास करते रहना ही साधना है।
व्यास जी महाराज का कथन है कि भोग भोगना सर्प के काटने के समान है जिसका जहर धीरे-धीरे फैलता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जबकि भोगों का त्याग करना बिच्छू के काटने के समान है जो तुरंत तो भयंकर पीड़ा देता है परंतु बाद में ठीक हो जाता है। सामान्य व्यक्ति वर्तमान सुख को अच्छा मानता है और भोग विलास भोगने में ही जीवन बिता देता है । बुद्धिमान व्यक्ति भविष्य का चिंतन करता है और वर्तमान समय में कष्ट उठाकर भावी जीवन को सुखी बनाता है। ट्रस्ट संचालिका इंदु पूरी ने कहा कि महामारी का दौर फिर से बढ़ रहा है इसलिए हमे धर्मिक कार्यो को करते कोविड से बचाव हेतु सरकारी गाइडलाइन का भी इस्तेमाल करना है। ताकि हम अपना व दूसरों का बचाव कर सके।