60 लाख काउ सेस देने के बाद भी नहीं मिली पशुओं से राहत
आम आदमी की जेब से इस साल 60 लाख रुपये से ज्यादा की राशि काउ सेस के रूप में जा चुकी है। निगम के खाते में 25 लाख ही पहुंचे हैं। इसके बावजूद लोगों को सड़कों पर घूमते आवारा आतंक से किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली है। छह महीने में 98 लोग बेसहारा पशुओं के कारण लहूलुहान हो चुके हैं चार की जान जा चुकी हैं।
सत्येन ओझा, मोगा : आम आदमी की जेब से इस साल 60 लाख रुपये से ज्यादा की राशि काउ सेस के रूप में जा चुकी है। निगम के खाते में 25 लाख ही पहुंचे हैं। इसके बावजूद लोगों को सड़कों पर घूमते आवारा आतंक से किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली है। छह महीने में 98 लोग बेसहारा पशुओं के कारण लहूलुहान हो चुके हैं, चार की जान जा चुकी हैं। ये स्थिति तब है जब खुद डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस बेसहारा जानवरों के मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर निगम के कमिश्नर व मेयर को धारा 133 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी कर चुके हैं, लेकिन सुधार फिर भी नहीं दिख रहा है। कहां से होती है वसूली
देसी व विदेशी शराब की बोतल पर प्रति बोतल पांच रुपये होती है वसूली।
नई कार खरीदने पर 1000 रुपये प्रति कार, तेल टैंकर पर प्रति चक्कर-100 रुपये।
बिजली प्रति यूनिट-2 पैसे
मैरिज पैलेस (एसी) प्रति फंक्शन -1500 रुपये नगर निगम सीमा में शेष जिले में 1000 रुपये प्रति फंक्शन।
मैरिज पैलेस (नॉन एसी) 750 रुपये प्रति फंक्शन निगम सीमा में शेष जिले में 500 रुपये।
फोर व्हीलर गाड़ी प्रति गाड़ी की बिक्री पर-1000 रुपये।
टू व्हीलर प्रति गाड़ी बिक्री पर -200 रुपये।
ये है निगम में वसूली का आंकड़ा
मोगा जिले में एक्साइज विभाग का चार लाख, 53 हजार 456 अंग्रेजी शराब की बोतलों का ठेका है, जिससे प्रति बोतल पांच रुपये के हिसाब से 22 लाख 67 हजार 280 रुपये बनता है। देशी शराब का ठेका 21 लाख 861 बोतलों का है, प्रति बोतल पांच रुपये की बिक्री के हिसाब इस पर काउ सेस का आंकड़ा पूरे जिले से वसूली का आंकड़ा एक करोड़ पांच लाख नौ हजार 305 बनता है। अंग्रेजी और देसी दोनों ही ठेकों से जिले से काउ सेस का हिस्सा एक करोड़ 27 लाख 76 हजार 585 रुपये बनता है, जिनमें से 40 लाख रुपये से ज्यादा काउ सेस मोगा नगर निगम सीमा के ठेकों से लोगों की जेब से जाता है। शहर की सीमा में हर महीने चार पहिया गाड़ियों की औसतन 150 की बिक्री होती है, जबकि दोपहिया वाहनों का हर महीने बिक्री का आंकड़ा 600 से ऊपर है। इस हिसाब से दोनों प्रकार के वाहनों की बिक्री से 2.70 लाख रुपये हर महीने एकत्र होते हैं, यानि साल में 32.40 लाख रुपये से ज्यादा की राशि सिर्फ वाहनों खरीद से एकत्रित होती है। मैरिज पैलेस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शहर में करीब 14 मैरिज पैलेस हैं, जिसमें पूरे साल में औसतन प्रति मैरिज पैलेस 50 से ज्यादा कार्यक्रम होते हैं, प्रति कार्यक्रम 1500 रुपये निगम को काउ सेस के दिए जाते हैं, जिनमें से 10 लाख 50 हजार रुपये हर साल वसूली होती है।
अकेले मैरिज पैलेस व वाहनों की बिक्री से ही छह महीने में निगम को लगभग 22 लाख रुपये की राशि काउ सैस से मिल जाती है।
शराब की बिक्री व पॉवरकॉम से होने वाली वसूली का आंकड़ा शामिल कर लिया जाय तो ये वसूली छह महीने में 50 लाख से ज्यादा की होनी चाहिए, लेकिन आम लोगों की जेब से शहरी क्षेत्र के लोगों की जेब से 60 लाख रुपये से ज्यादा की राशि काउ सेस के खाते में जा चुकी है, लेकिन निगम के खाते में अभी तक आधी ही राशि पहुंची है। कोट्स
काउ सेस की वसूली में तेजी लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, साथ ही बाहर से लोग जो निगम की सीमा में जानवर छोड़कर जा रहे हैं, उन पर लगातार निगरानी की जा रही है, पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-अनीता दर्शी, निगम कमिश्नर