मां के आशीर्वाद से मिली गायकी : नरेंद्र चंचल
मोगा : संगीत भारत के कलचर से निकला है। पुरातन सभ्यता काला डोरिया, जैसे गीत आज भी धरती से जुड़े हैं। गायकी मुझे मां के आशीर्वाद से प्राप्त हुई।
संवाद सूत्र, मोगा : संगीत भारत के कलचर से निकला है। पुरातन सभ्यता काला डोरिया, जैसे गीत आज भी धरती से जुड़े हैं। गायकी मुझे मां के आशीर्वाद से प्राप्त हुई। वर्तमान में भले ही गायकी ने नया अंदाज लिया है लेकिन दरी पर बैठ ढोलकी पर गाई मां की महिमा का आज भी महत्व है। यह बात भजन सम्राट नरेंद्र चंचल ने दैनिक जागरण से विशेष बात चीत दौरान व्यक्त की।
मोगा में राइसब्रान एसोसिएशन (127) के जागरण में मुम्बई से पहुंचे नरेंद्र चंचल ने बताया कि मोगा नगरी के भक्तों से मेरा नोह मास का रिश्ता है। उन्होंने बताया कि उनके घर में कोई नहीं चाहता था कि वह गायक बनें, लेकिन उन्हें बचपन से शौक था। वह सात भाई थे। मां की सोच थी कि वह अपने भाइयो से अलग न हो। लेकिन मेरी मां के संस्कार मुझे मिले जिससे वह अपनी मंजिल को आगे बढ़ते गए। अपने बचपन की याद को दर्शाते नरेद्र चंचल ने बताया कि बचपन में वह अपने घर के बाहर कुएं में आवाज लगाता थे, वही आवाज गूंज बनकर बाहर आती थी। अपने घर की खिड़की पर खड़ा होकर गुनगुनाता था, उनके पहले श्रोता मोहल्ले के बच्चे थे। उन्होंने बताया कि पुरातन संगीत में शोर शराबा नहीं होता था सादगी होती थी। भले ही संगीत कुछ समय का नशा है। लेकिन संगीत के अच्छे बोल वा सादगी हमेशा श्रोताओं में कायम रहती है।