Punjab News: अलगाववादी अमृतपाल की गिरफ्तारी का इंतजार, धारा 144 लागू होने से घरों से कम निकल रहे लोग
अमृतपाल की ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख के रूप में जिस रोडे गांव में दस्तारबंदी हुई थी वहां जनजीवन सामान्य है। हालांकि धारा 144 लागू होने से लोग घरों से कम निकल रहे हैं। गावं के लोगो ने कहा देशविरोधी गतिविधियों में शामिल किसी व्यक्ति का साथ नहीं देगें।
सत्येन ओझा, मोगा: अमृतपाल की ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख के रूप में जिस रोडे गांव में दस्तारबंदी हुई थी, वहां जनजीवन सामान्य है। हालांकि, धारा 144 लागू होने से लोग घरों से कम निकल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गांव रोडे जरनैल सिंह भिंडरांवाला की जन्मस्थली है। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को गांव रोडे का दौरा किया। मोगा-कोटकपूरा स्टेट हाईवे से करीब तीन किलोमीटर दूर बसे रोडे गांव तक पहुंचने के दौरान टीम को दोपहर एक बजे रास्ते में सिर्फ दो टेंपों मिले, उनमें भी सवारियां कम थीं। टेंपो लगभग खाली ही दौड़ रहे थे।
जनजीवन फिर से हुआ सामान्य
गांव में प्रवेश करते ही तिराहे पर पहली सत्थ मिली, यहां पर तीन बुजुर्ग बैठे मिले। एक दिव्यांग बुजुर्ग ट्राई साइकिल पर बैठे थे। बुजुर्ग बताते हैं कि पुलिस गांव में किसी को परेशान तो नहीं कर रही है, लेकिन बार-बार पुलिस की गाड़ियां गांव में आ रही हैं। यही वजह है कि जरूरी काम के लिए ही लोग घरों के बाहर आ जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने फोटो खींचने से मना कर दिया।
अमृतपाल के संबंध में पूछने पर गांव का कोई व्यक्ति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। इस सत्थ के ठीक सामने एक हलवाई की दुकान पर टीम ने चाय की चुस्कियां लीं। करीब 7-10 मिनट तक चाय की चुस्कियों के बीच दुकानदार से हमने गांव के माहौल को लेकर बात की। उसने बताया कि जनजीवन सामन्य है। हालांकि, उसने कहा कि कोई उसका फोटो नहीं खींचेगा।
अमृतपाल पर कोई बोलने को तैयार नहीं
गांव की पहली सत्थ से गांव की फिरनी पर चलते हुए करीब 800 मीटर दूर हम उस गुरुद्वारे में जा पहुंचे, जहां पिछले साल 29 सितंबर को अमृतपाल की दस्तारबंदी हुई थी। श्री गुरुद्वारा साहिब में भी इक्का-दुक्का ही लोग आते-जाते दिखे। हम लंगरशाला की तरफ पहुंचे तो वहां तीन सेवादार थे। हालांकि, अमृतपाल पर वे भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए। इस दौरान सेवादारों ने हमारी टीम को भी चाय पिलाई। करीब 15 मिनट तक उनके साथ रहे। कुछ देर बाद एक युवक गाड़ी में आया। जब हमने उससे गांव के हालात के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह तो कभी-कभी गुरुद्वारो आता है। आगे आपको लोग मिल जाएंगे, जो बता देंगे।
छापेमारी के दौरान नशा मुक्ति केंद्र से भागे मरीज
नवीन राजपूत, अमृतसर: अलगाववादी अमृतपाल के पुश्तैनी गांव जल्लूपुर खेड़ा में अब हालात सामान्य होने लगे हैं। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार दोपहर को जल्लूपुर खेड़ा गांव का दौरा कर वहां का माहौल देखा। लोग सुबह ही अपने काम पर जा चुके थे और बच्चे गलियों में कंचे खेलते दिखे। इसके साथ ही खेतों में भी कुछ लोग काम करते दिखे। हालांकि, अमृतपाल सिंह के घर के बाहर और आसपास गलियों में सन्नाटा ही पसरा रहा। गांव को जाने वाले पांच रास्तों पर पुलिस का सख्त पहरा दिखा।
पांचों रास्तों पर पुलिस की गाड़ियां और तीन बसें लगी मिलीं। गांव के भीतर और बाहर आने-जाने वाले वाहनों की पुलिस गहन तलाशी ले रही थी। गांव के हरजीत सिंह व बलकार सिंह ने बताया कि देशविरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति के साथ गांव नहीं है। अमृतपाल प्रकरण के बाद गांववासी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। उनको अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता भी है। अरविंदर सिंह मान ने बताया कि अमृतपाल सिंह गुरुद्वारा के पास नशा छुड़ाओ केंद्र का संचालन कर रहा था। यहां शनिवार को भी 55 से 60 मरीज दाखिल थे। छापामारी के दौरान वे सभी भाग गए।
अमृतपाल की गाड़ी के साथ फोटो खिचां रहे लोग
मनोज त्रिपाठी, जालंधर: जालंधर से नकोदर तक हालात सामान्य रहे। मंगलवार को दोपहर दो बजे मलसियां में सामान्य दिनों की तरह पुलिस नाके पर तैनात थी। मलसियां से लेकर शाहकोट मेन बाजार तक आम दिनों की तरह चहल-कदमी भी रही। शाहकोट थाने के बाहर जरूर मीडिया का जमावड़ा दिखाई दिया।
विभिन्न टीवी चैनलों तथा अखबारों के पत्रकार अमृतपाल के समर्थक की ब्रेजा गाड़ी का फोटो खींचने के लिए जमा थे। यहां से लगभग सभी पुलिस अधिकारी नदारद थे। थाने का गेट बंद था। ब्रेजा की सिक्योरिटी इस तरह से की जा रही थी जैसे कि कोई वीवीआइपी वाहन हो। शाहकोट से सात किलोमीटर आगे जाकर महितपुर को जाने वाली सड़क पर भी आम दिनों की तरह से वाहनों का आवागमन जारी था।
माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण
नौ किलोमीटर आगे जाकर गुरुद्वारा साहिब पहुंचने पर जरूर सुरक्षा व्यस्था चुस्त दिखाई दी। अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने गुरुद्वारे की सुरक्षा की कमान अपने हाथों में ले रखी थी। वहीं, गुरुद्वारे के दूसरी तरफ स्थित ओधोवाल गांव में सरपंच की कोठी पर भी पुलिस मुस्तैद दिखाई दी। महितपुर बाजार से पहले ताश खेलने में व्यस्त गांव के बुजुर्गों की टीम मीडिया को देखते ही पूछने लगती है अमृतपाल ‘फड़ेया गया ऐ या नहीं’।
शनिवार को महितपुर के जिस बाजार में पुलिस के साथ अमृतपाल के समर्थकों का आमना-सामना हुआ था, वहां भी सारी दुकानें रोजाना की तरह खुली थी। हालांकि, ग्राहक कुछ कम जरूर दिखाई दिए, लेकिन माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण था। नकोदर में भी सब्जी बाजार से लेकर मेन बाजार तक लोग अपने कामों में व्यस्त दिखाई दिए।
धारा 144 लागू, घरों से कम निकल रहे लोग
भगोड़ा घोषित अलगाववादी अमृतपाल के खिलाफ जब पुलिस ने आपरेशन शुरू किया तो राज्य में तीन दिन तक माहौल तनावपूर्ण रहा। अमृतपाल पर जैसे-जैसे शिकंजा कसता गया, वैसे-वैसे माहौल सामान्य होता गया। जागरण टीम ने अमृतपाल के अमृतसर स्थित गांव जल्लूपुर खेड़ा, मोगा स्थित गांव रोडे और जालंधर के शाहकोट, मलसियां व महितपुर आदि का दौरा कर हालात का जायजा लिया। वहां जनजीवन सामान्य दिखा।
अमृतपाल और पुलिस के बीच चल रहे चूहे-बिल्ली के खेल को लेकर एक तरफ जहां लोगों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सैकड़ों लोग अमृतपाल की गिरफ्तारी की खबर का इंतजार करते दिखाई दिए। हर जगह सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही। कहीं पर भी अमृतपाल के मामले को लेकर किसी में भी असुरक्षा की भावना नहीं दिखाई दी।