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अस्पताल के बाहर शव रख किया प्रदर्शन

अकालसर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में गांव मौड़ नौ आबाद की रहने वाली महिला की मौत के बाद परिजनों ने शनिवार को दोपहर डॉक्टर पर अनदेखी का आरोप लगा अस्पताल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 06:59 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 06:59 PM (IST)
अस्पताल के बाहर शव रख किया प्रदर्शन
अस्पताल के बाहर शव रख किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, मोगा :

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अकालसर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में गांव मौड़ नौ आबाद की रहने वाली महिला की मौत के बाद परिजनों ने शनिवार को दोपहर डॉक्टर पर अनदेखी का आरोप लगा अस्पताल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया। धरना करीब तीन घटों तक चला।

मृतक महिला के पति गुरप्रेम सिंह निवासी मोड़ नौ आबाद ने बताया कि 31 दिसंबर को उन्होंने अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए मोगा के अकालसर रोड स्थित निजी अस्पताल लाए थे जहा डिलिवरी उपरात लड़की ने जन्म लिया और उसी समय तेजविंदर कौर की हालत नाजुक हो गई। उन्होंने बताया कि डिलीवरी के उपरात डाक्टर से गलत नब्ज कट जाने पर ख़ून बहना शुरू हो गया। डॉक्टर ने तेजविन्दर कौर को 1 जनवरी को लुधियाना के अपोलो अस्पताल में रेफर कर दिया और वहा भी उस की हालत बिगड़ती गई तो चंडीगढ़ में पीजीआई में ले गए परन्तु उनको बैड न मिलने कारण हम उसे फिर लुधियाना के डीएमसी में लाया गया जहा कई दिनों से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही तेजविंदर कौर की शनिवार को सुबह मौत हो गई। उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग गी। वही मौके पर पहुंचे डीएसपी सिटी परमजीत सिंह ने पारिवारिक सदस्यों के साथ बातचीत की और इंसाफ देने का भरोसा दिया । 28 लाख खर्च किए फिर भी नही बची बेटी : बलदेव सिंह

मृतका के पिता बलदेव सिंह निवासी बहोना ने बताया कि उन्होंने बहुत मुश्किल के साथ पैसे इकठ्ठा करके अपनी बेटी के इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधकों को दिए परंतु फिर भी मेरी बेटी की जान नहीं बच सकी है। उन्होंने कहा कि अब तक उसकी बेटी के इलाज और 28 लाख रुपये का खर्च आ चुका है। डॉक्टर की नहीं कोई गलती : मित्तल

अस्पताल के डाक्टरों के साथ बातचीत करनी चाही तो उन्होंने कैमरे आगे कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा और मामले को भड़कता देख अस्पताल के डॉक्टर के हक में आए कुछ डॉक्टरों व आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के प्रधान डॉक्टर संजीव मित्तल ने कहा कि उक्त महिला की मौत के लिए अस्पताल का डॉक्टर जिम्मेदार नहीं है। डाक्टर की यही कोशिश होती है कि मरीज का इलाज सही तरीके साथ हो और वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए। इस अस्पताल की तरफ से भी पूरी इमानदारी के साथ महिला महिला का उपचार किया गया था।


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