वर्किग कैपिटल रिफंड में फंसा पांच करोड़, कैसे करें बिजनेस
जिले में सेंट्रल जीएसटी व स्टेट जीएसटी के लगभग 8200 से ज्यादा उपभोक्ताओं का जीएसटी की साइट ठीक से न चलने के कारण लगभग पांच करोड़ से ज्यादा का रिफंड बकाया है। जीएसटी की साइट ब्रेक डाउन होने के कारण लोगों के रिफंड के रूप में वर्किग कैपिटल ब्लॉक हैं।
जागरण संवाददाता, मोगा : जिले में सेंट्रल जीएसटी व स्टेट जीएसटी के लगभग 8200 से ज्यादा उपभोक्ताओं का जीएसटी की साइट ठीक से न चलने के कारण लगभग पांच करोड़ से ज्यादा का रिफंड बकाया है। जीएसटी की साइट ब्रेक डाउन होने के कारण लोगों के रिफंड के रूप में वर्किग कैपिटल ब्लॉक हैं। उपभोक्ताओं की मोटी राशि के रूप में वर्किग कैपिटल ब्लॉक है, जिसका उपयोग बिजनेस में नहीं हो पा रहा है।
जो नए कारोबारी जीएसटी नंबर लेना चाहते हैं, स्टेट जीएसटी नंबर तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन सेंट्रल जीएसटी में आवेदन करने पर वह मोगा से सीधे चंडीगढ़ मुख्यालय चला जाता है, कारोबारी उनकी आपत्तियां दूर कराने में ही चंडीगढ़ दफ्तर के चक्कर लगाता रहता है। स्टेट जीएसटी की तरह अगर यहीं से नंबर जारी हो, आपत्तियों का निस्तारण हो जाए तो नए कारोबारियों को आसानी होगी।
शहर में बुधवार को डिस्ट्रिक्ट टैक्स बार एसोसिएशन व द मोगा चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी की ओर से प्रोफेशनल्स सेंट्रल जीएसटी व स्टेट जीएसटी ऑफिस में ज्ञापन देने पहुंचे। मंडल स्तरीय सेंट्रल जीएसटी ऑफिस में सुपरिंटेंडेंट राजिदर कौर व स्टेट जीएसपी ऑफिस में ज्ञापन लेने के लिए ईटीओ स्तर के अधिकारी ही मिले। कोई बड़े अधिकारी मौजूद नहीं थे, जबकि प्रोफेशनल्स के ज्ञापन का प्रोग्राम पहले से ही तय था। इस मौके पर एडवोकेट जिला टैक्स बार के अध्यक्ष रुपेन्द्र कांसल, पवन सिगल, मधुर सिगल, वरिदर अरोड़ा, वरिदर बांसल, गौरव कांसल, जतिन आनंद, सीए प्रेम सिगल, हेमंत अरोड़ा, सुभाष बांसल, विकास मित्तल आदि मौजूद थे। डिस्ट्रिक्ट टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रूपिदर कंसल ने बताया कि सरकार ने जीएसटी लागू करने के बाद दो साल तक उदार रवैया अपनाने का वादा किया था, जो मैन्यूफैक्चर्स साइट की प्रॉब्लम या दूसरे कारणों से समय पर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए, उन पर बकाया टैक्स के ब्याज के नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जबकि सच्चाई ये है कि जिस बकाया टैक्स के नोटिस सरकार जारी कर रही है वह तो खरीददार के रिटर्न के माध्यम से सरकार के खजाने मे जा चुका है, मैन्यूफैक्चरर्स पर बयाज बनती ही नहीं है, पहले से मंदी के दौर में चल रहा बिजनेस सरकार के इस फैसले से और मंदी में ला जाएगा। दो-दो साल नहीं मिलता रिफंड
साइट प्रॉब्लम की वजह से दो-दो साल से लोगों के रिफंड नहीं मिल पा रहे हैं। ये ठीक है रिफंड के केस स्थानीय ऑफिस में लंबित नहीं है, लेकिन जीएसटी साइट की वजह से समस्या आ रही है।
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साइट न चलने से भरनी पड़ रही पैनलटी
जीएसटी की रिटर्न भरने की जब भी अंतिम तारीखें आती हैं, साइट ब्रेक डाउन हो जाती हैं, जिसके चलते काफी लोग समय पर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं, बाद में उन्हें पैनल्टी भरनी पड़ती है।