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जिले में पहले दिन हड़ताल वापसी के बावजूद शुरू नहीं हो सकी खरीद

जिले की मंडियों में पहले दिन गेहूं की खरीद शुरू नहीं हो सकी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 05:32 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 05:32 AM (IST)
जिले में पहले दिन हड़ताल वापसी के बावजूद शुरू नहीं हो सकी खरीद
जिले में पहले दिन हड़ताल वापसी के बावजूद शुरू नहीं हो सकी खरीद

सत्येन ओझा, मोगा :

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जिले की मंडियों में पहले दिन गेहूं की खरीद शुरू नहीं हो सकी। जिला मंडी अफसर मनदीप सिंह ने कहा कि आढ़तियों की हड़ताल लुधियाना में हुई बैठक के बाद करीब दो बजे ही वापस ले ली गई थी। सिर्फ मोगा की मुख्य मंडी में करीब 1500 क्विंटल फसल की आमद हो सकी है।

उधर, अडानी के साइलो प्लांट में किसान संगठनों की चेतावनी के कारण किसान गेहूं स्टोर कराने नहीं पहुंच सके। निकटवर्ती क्षेत्र के गांवों में एक दिन पहले ही किसान संगठनों ने एलान कर दिया था कि अगर कोई भी किसान साइलो प्लांट में गेहूं स्टोर करने पहुंचेगा तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा, पूरा गांव उसके साथ हर प्रकार के संबंध खत्म कर लेगा। ये है सरकारी दावा

जिला खुराक और सप्लाई कंट्रोलर सरताज सिंह चीमा ने बताया कि जिले की 109 अनाज मंडियों के अलावा 148 अस्थाई यार्ड खरीद के लिए बनाए हैं। हालांकि पहले दिन किसी भी मंडी में खरीद शुरू नहीं हो सकी। जिले में पनग्रेन को 23 प्रतिशत, मार्कफेड को 22 प्रतिशत, पनसप को 22 प्रतिशत, वेयर हाउस को 13 प्रतिशत, डीएफएससी को 20 प्रतिशत खरीद का कोटा दिया गया है।

पिछले साल की तरह इस बार भी मंडियों में टोकन व्यवस्था के साथ खरीद की जाएगी। आढ़तियों को रंगीन टोकन के पास मुहैया करवा दिए गए हैं। इन शर्तों पर खत्म हुई हड़ताल

नाखून मांस के संबंधों पर उठे सवाल

आढ़ती एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष अमरजीत सिंह राजेयाना ने बताया कि आढ़तियों की चार मुख्य मांगें थी, सरकार आढ़ती का 131 करोड़ का बकाया जारी रहे, मुख्यमंत्री सोमवार तक ये राशि जारी करने का भरोसा दिए हैं। लेबर का ईपीएफ का 30 प्रतिशत बकाया देने का भी भरोसा दिया गया है। उपज का भुगतान किसानों के खातों में ही जाएगा, लेकिन सरकार ने ये सुविधा दी है कि किसानों के खाते में जारी जारी होते ही संबंधित आढ़ती व किसान के पास भुगतान के पेमेंट का संदेश आ जाएगा। 48 घंटे की अवधि में आड़ती किसान के साथ अपना हिसाब करके अपनी सहमति दे देगा, तभी किसान ये राशि अपने खाते से निकाल सकेगा। गौरतलब है कि अभी तक आड़ती किसानों के साथ अपना नाखून-मांस का रिश्ता बताते रहे थे, लेकिन भुगतान की जिस शर्त पर समझौता हुआ है, उससे इस रिश्ते की कलई खुल गई है, संदेश साफ है कि आढ़तियों को अपने भुगतान की चिता ज्यादा थी।

ये है जमीनी हकीकत

पिछले चार दिनों से मंडियों में गेहूं लेकर बैठे किसान परेशान हो रहे हैं, संगठनों के कारण वे साइलो प्लांट में नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन मंडी में गेहूं खरीद न होने से उनके चेहरे पर आक्रोश साफ झलक रहा है। गांव डगरू से तीन दिन पहले पहुंचे एक किसान का गुस्सा पहले तो फूट पड़ा, उन्होंने कहा कि इससे तो अच्छा था साइलो में गेहूं स्टोर करा देते, लेकिन दूसरे किसानों के विरोध के बाद वे अपनी ही बात से मुकर गए।

पिछले साल क्या थी स्थिति

जिले में पिछले साल पहले दिन 315 मीट्रिक टन गेहूं की आमद हुई थी। इनमें से 17 मीट्रिक टन गेहूं की व्यापारियों ने खरीद की थी, जबकि 65 मीट्रिक टन की खरीद खरीद एजेंसियों ने की थी। इस बार पहले दिन आमद पिछले साल की तुलना में काफी कम रही है, लेकिन खरीद शून्य रही है।


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