213 किमी का छह घंटे लंबा ट्रेन का सफर, नहीं टॉयलेट की सुविधा
लुधियाना से वाया मोगा फाजिल्का तक चलने वाली डीएमयू का 213 किलोमीटर लंबा सफर पांच घंटे से लेकर छह घंटे तक पूरा होता है।
जागरण संवाददाता, मोगा : लुधियाना से वाया मोगा फाजिल्का तक चलने वाली डीएमयू का 213 किलोमीटर लंबा सफर पांच घंटे से लेकर छह घंटे तक पूरा होता है। दोनों ही तरफ से ये रेलगाड़ी यात्रियों से खचाखच भरी होती है, लेकिन छह घंटे तक के इस सफर में ट्रेन में शौचालय न होने के कारण जहां भी रास्ते में ट्रेन किसी हॉल्ट या शहर के बाहरी क्षेत्र में रुकती है वहीं ट्रेन के यात्रियों के लिए ओपन शौचालय बन जाता है।
गौरतलब है कि साल 2012 में शुरू हुई लुधियाना-फाजिल्का व फाजिल्का लुधियाना डीएमयू प्रतिदिन सुबह पांच बजे लुधियाना से रवाना होती है जो साढ़े छह बजे मोगा पहुंचती है, 10 बजे ट्रेन का फाजिल्का पहुंचने का समय निर्धारित है, लेकिन रास्ते में दूसरी गाड़ियों की पासिग आदि के चलते कई बार पांच घंटे का सफर छह घंटे तक में पूरा होता है। इस ट्रेन के यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या के चलते अक्सर डीएमयू के कोच चार से बढ़ाकर छह करने पड़ते हैं। साफ है कि ये गाड़ी रेल विभाग के लिए बिजनेस के लिए फायदेमंद है। यात्रियों को भी राहत है, लेकिन इस लंबे सफर वाले रास्ते में सुविधा के नाम पर टॉयलेट तक नहीं है।
ट्रेन से उतर जाना पड़ता है पेशाब करने
वरिष्ठ अधिवक्ता चन्द्रभान खेड़ा का कहना है कि कई बार उन्होंने इस ट्रेन में सफर किया है, लेकिन मुश्किल ये होती है कि उनके जैसे 75 साल के व्यक्ति को अगर रास्ते में पेशाब लगे तो ट्रेन से उतरकर जाना व चढ़ना बेहद कष्टदायक होता है, क्योंकि रास्ते में प्लेटफार्म न होने के कारण कई बार ट्रेन की सीढि़यों से कूदना होता है। महिलाओं के लिए तो ये स्थिति काफी ज्यादा शर्मसार करने वाली बात होती है। खेड़ा का कहना है कि शताब्दी को रेलवे इस आधार पर मोगा से छीन सकता है कि वह घाटे में चल रही थी तो मुनाफा कमाने वाली रूट की ट्रेन में रेलवे यात्रियों को सुविधाएं क्यों नहीं दे सकता है। ट्रेन में सुविधा न देना शर्मनाक
बेदी नगर मोगा निवासी जयनारायन आज भी इसी ट्रेन से लुधियाना जा रहे हैं, उनका कहना है एक तरफ रेलवे बुलेट ट्रेन देने की बात कर रही है, दूसरी तरफ ट्रेन के लंबे रूट पर टॉयलेट तक की सुविधा न होना शर्मनाक है।
लोगों को जोखिम में डाल रही रेलवे की अनदेखी
इसी ट्रेन के यात्री सुखबिदर सिंह पुत्र अजीत सिंह का कहना है कि कई बार महिलाओं को ट्रेन रुकते ही भागते हुए देखते हैं तो दुख होता है कि रेलवे की इन अनदेखी से लोगों को किस तरह जान जोखिम में डालनी पड़ती है। ये हैं बड़े कारण
-शहर में इन दिनों राजनीतिक शून्यता की स्थिति
-नेता वहीं दिखते हैं जब कोई सड़क बनना शुरू हो रही हो, पैचवर्क हो रहा है। जनता की समस्याओं के समय में शहर का कोई नेता उनकी आवाज बनकर खड़ा नहीं दिखता है।
-शताब्दी बंद होने पर किसी नेता के मुंह से आवाज नहीं निकली, सांसद मोहम्मद सादिक को तो पता ही नहीं लगा कि शताब्दी छिन गई है। कोट्स
-डीएमयू में टॉयलेट की सुविधा नहीं होती है, लंबे सफर में डीएमयू चलाना या अन्य कोई यात्री सुविधाओं वाली गाड़ी चलाने का फैसला रेलवे मंत्रालय का होता है, उनके स्तर पर इस मामले में कुछ नहीं हो सकता है।
-निशान सिंह, स्टेशन अधीक्षक, मोगा रेलवे स्टेशन