सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाली 18 हजार बच्चियों की सुरक्षा राम भरोसे
। पंजाब सरकार रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रही है। जबकि सच्चाई यह है कि जिले के 352 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहीं करीब 18 हजार बालिकाओं की स्कूल में सुरक्षा भगवान भरोसे है।
सत्येन ओझा.मोगा
पंजाब सरकार रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रही है। जबकि सच्चाई यह है कि जिले के 352 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहीं करीब 18 हजार बालिकाओं की स्कूल में सुरक्षा भगवान भरोसे है।
स्कूल शुरू होने के निर्धारित समय से करीब आधा घंटे पहले ही बच्चों का स्कूल पहुंचना शुरू हो जाता है, उस समय स्कूल में कोई स्टाफ सदस्य मौजूद नहीं होता। दो दिन पहले 28 साल के युवक ने डुढीके के सरकारी स्कूल में प्रवेश कर सुबह स्कूल आए बच्चों को एक कमरे में बंद कर पांचवीं कक्षा की एक छात्रा के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। करीब डेढ़ साल पहले भी कोट ईसे खां क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में ऐसी ही घटना हुई थी,लेकिन तब मामला रफा-दफा कर दिया गया था।
जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 18000 छात्राएं पढ़ रहीं
जिले में सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले लगभग 40 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों में करीब 18000 छात्राएं हैं। इन दिनों स्कूल खुलने का समय सुबह 10 बजे हैं। अध्यापक ठीक दस बजे या उससे चार या पांच मिनट पहले आते हैं। जबकि बच्चों का आधा घंटे पहले आना शुरू हो जाता है। इस आधा घंटे में बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है। स्कूल में न तो कोई चौकीदार होता है, न चपरासी और न ही क्लैरीकल स्टाफ। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार बीस साल पहले तक सरकारी प्राइमरी स्कूलों में ये पद होते थे, अब तो ये पद ही नहीं हैं। सरकारी शिक्षा की कमान आइएएस कृष्ण कुमार के हाथों में आने के बाद उन्होंने स्कूल की इमारतों को तो शानदार बनवाने में अहम भूमिका निभाई, बिल्डिंगों पर ज्ञानवर्द्धक नारे भी लिखवाए लेकिन स्कूल की दीवारों पर लिखे इन नारों पर खुद राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की टीम अमल नहीं कर पा रही है। क्यों जरूरी है सुरक्षा
21 जनवरी को डुढीके सरकारी प्राइमरी स्कूल में एक मजदूर अपनी 11 वर्षीय बच्ची को सुबह नौ बजकर 25 मिनट पर अपनी पांचवी कक्षा में पढ़ने के लिए स्कूल छोड़कर आया था। कुछ देर बाद ही बाहर से 28 साल का युवक स्कूल में आ गया। एक कक्षा में कुछ बच्चे थे, उनमें से पांचवीं की एक बच्ची को बूट देने का बहाना बनाकर बाहर ले आया, बाहर से कुंडी लगाकर बाकी बच्चों को कमरे में बंद कर दिया। आरोपित बच्ची को मिड-डे मील वाले खाली पड़े कमरे में ले गया, वहां जाकर उसने बच्ची के साथ छेड़छाड़ कर उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे। अन्य विद्यार्थियों के स्कूल आने पर जब शोर शराबा हुआ तो युवक भाग गया। कोट ईसे खां क्षेत्र के स्कूल में भी डेढ़ साल पहले ऐसी ही घटना हुई थी, तब लड़की के पिता पुलिस में जाने को तैयार नहीं थे, इसलिए मामला दब गया था।
इस मामले में बात करने के लिए ीईओ एलीमेंटरी जसविदर कौर का दो दिन से मोबाइल नंबर मिलाया जा रहा है, लेकिन वे काल रिसीव नहीं कर रही। शुक्रवार को भी वह आफिस में नहीं मिलीं। उन्हें वाट्सएप मैसेज भेजकर बच्चों की सुरक्षा की स्थिति के बारे में पूछा गया। उन्होंने मैसेज पढ़ तो लिया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।
दैनिक जागरण ने की पड़ताल
दैनिक जागरण ने इस मामले में शनिवार को सरकारी स्कूल गोधेवाला, अतिजवाल में डुढीके रोड पर व डुढीके स्कूल की पड़ताल ती तो पता चला कि सुबह स्कूल में जल्द आने वाले बच्चों के अलावा कोई नहीं होता है। कोट ईसे खां स्थित सरकारी स्कूल में जरूर वहां की हैड टीचर दर्शन पाल कौर ने अनोखा तरीका निकाला है। वहां कुछ कक्षाओं के लिए सुबह साढ़े नौ बजे से एक्ट्रा क्लास लगाई जाती है, इसलिए स्टाफ भी आधा घंटे पहले साढ़े नौ बजे तक आ जाता है। यहां पर प्राइमरी कक्षाओं के 77 बच्चे हैं।