सियासी दंगल नहीं, जनहित के जज्बे से स्मार्ट होगा शहर
मोगा मोगा भले ही स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल नहीं है लेकिन लगभग पौने दो करोड़ की आबादी वाले इस शहर का नगर निगम में स्मार्ट सिटी बनाने का खाका तैयार हो चुका है इस प्रोजेक्ट पर सभी राजनीतिक दलों के नेता सियासी दंगल की बजाय जनहित दिखाते हैं तो ये प्रोजेक्ट पूरे देश के मिसाल बन सकता है।
सत्येन ओझा, मोगा : मोगा भले ही स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल नहीं है, लेकिन लगभग पौने दो करोड़ की आबादी वाले इस शहर का नगर निगम में स्मार्ट सिटी बनाने का खाका तैयार हो चुका है, इस प्रोजेक्ट पर सभी राजनीतिक दलों के नेता सियासी दंगल की बजाय जनहित दिखाते हैं तो ये प्रोजेक्ट पूरे देश के मिसाल बन सकता है।
प्रोजेक्ट के तहत शहर से दूर 10 एकड़ जगह में निगम को गारबेज प्रोसेसिग प्लांट, बायोमेडिकल बेस्ट, कंपोस्ट पिट्स री साइक्लिग प्लांट के अलावा विशुद्ध कूड़े का डंप एक ही स्थान पर बनाकर आने वाले 25 सालों तक डंप की समस्या से निजात पाई जा सकती है। इनमें से अधिकांश प्रोजेक्ट तैयार हो चुके हैं, निगम हाउस से पास होने का इंतजार है।
बता दें कि लगभग 40 लाख रुपये कीमत का गारबेज प्रोसेसिग प्लांट लगेगा। ये प्लांट नवांशहर व अमृतसर में लग चुके हैं। शहर में प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है, प्रस्तावित प्लांट से प्रतिदिन 250 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़े की प्रोसेसिग होकर उसके खाद तैयार करने के साथ ही री साइक्लिग मैटीरियल अलग करेगा। इससे घल्लकलां में पहले से बने हुए डंप की प्रोसेसिग होकर उसे भी खत्म किया जाएगा, उस चार एकड़ जगह को बाद में निगम किसी अन्य कार्य में प्रयोग कर सकता है।
लगभग 25 लाख रुपये की लागत से इंसीनेटर प्रस्तावित है, इंसीनेटर लगने से शहर के बायो मेडिकल बेस्ट, मरे हुए जानवरों को डिस्पॉज किया जा सकेगा। वर्तमान में शहर के अस्पताल व लैब लुधियाना की निजी कंपनी को महंगी कीमत पर बायोबेस्ट देते हैं, यहां निगम ये सुविधा सस्ती भी देगा, निगम की आय भी शुरू हो जाएगी।
इसी कैंपस मे कंपोस्ट पिट्स लगने प्रस्तावित हैं, साथ ही री साइक्लिग प्लांट जिसमें प्लास्टिक को रीसाइकिल करने, गत्ते को रीसाइकिल करने की सुविधा होगी। पूरे दस एकड़ क्षेत्र की चार दीवारी कराया जाना प्रस्तावित है, ताकि चारदीवारी के अंदर क्या हो रहा है, बाहर किसी को पता ही नहीं चलेगा, दुर्गन्ध भी नहीं जाएगी। निगम की अपनी दोनों मशीनरी का खर्चा लगभग 65 लाख प्रस्तावित है, रीसाइकिल मशीनरी लगाकर करीब एक करोड़ रुपये का खर्चा आने का अनुमान है। पांच एकड़ जगह उस कूड़े के लिए छोड़ी जानी प्रस्तावित है, जिसका कुछ नहीं हो सकता है, ये जगह 25 साल की अवधि के लिए पर्याप्त होगी। केन्द्र से मिलेंगे छह करोड़
स्वच्छ भारत अभियान में अगर नगर निगम ये प्रोजेक्ट केंद्र को भेजता है तो केंद्र सरकार नियमानुसार स्वच्छ भारत अभियान के तहत निगम को प्रति व्यक्ति कचरा प्रबंधन के लिए 245 रुपये भुगतान करेगा, निगम क्षेत्र की कुल आबादी के हिसाब से लगभग छह करोड़ रुपये की राशि निगम को मिल सकती है। ऐसे में एक करोड़ मशीनरी, बाकी जमीन की खरीद व चारदीवारी में खर्च कर नगर निगम हाउस शहरवासियों को अपने बजट से एक पैसा भी खर्च किए बना शहर को स्मार्ट सिटी का तोहफा दे सकता है। निगम के पास संसाधन
गीला कचरा, सूखा कचरा एकत्र करने के लिए निगम के पास अभी 100 ट्रालियां उपलब्ध हैं, 100 ट्रालियां और आने वाली हैं। इसके अलावा पांच ट्रैक्टर ट्रालियां भी आ रही हैं, उनमें भी गीला कचरा, सूखा कचरे के अलग चैंबर बने हुए हैं। ट्रैक्टर पहले ही आ चुके हैं। ऐसे में निगम शहर भर के कचरे को गीला व सूखा एकत्र कर उसे डंप करेगा।
कोट्स
गारबेज प्रोसेसिग प्लांट व इंटीनेटर की विभागीय स्तर पर सभी प्रकार की कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है, प्रस्ताव सदन में पास होने हैं, अगर कोई बाधा नहीं आई तो मोगा नगर निगम पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकेगा।
-अनीता दर्शी, निगम कमिश्नर