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आंखों की छिनती रोशनी को उज्ज्वला योजना ने दी नई जिदगी

मोगा 58 साल की महिला रानी कौर के जिदगी के 35 साल चूल्हे की आग पर रोटियां सेंकते हुए गुजरे हैं बारिश के दिनों में चूल्हे की लकड़ियों से आग की लपटों की जगह धुएं ने उनकी आंखों की रोशनी भी कम कर दी है बारिश के दिनों में कई बार तो सुबह-शाम रोटियां पकाना भी मुश्किल हो जाता था लेकिन केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना ने धुएं में धीरे-धीरे छिनती रोशनी को बुढ़ापे में पूरी तरह जाने से बचा लिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:05 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:18 AM (IST)
आंखों की छिनती रोशनी को उज्ज्वला योजना ने दी नई जिदगी
आंखों की छिनती रोशनी को उज्ज्वला योजना ने दी नई जिदगी

सत्येन ओझा, मोगा : 58 साल की महिला रानी कौर के जिदगी के 35 साल चूल्हे की आग पर रोटियां सेंकते हुए गुजरे हैं, बारिश के दिनों में चूल्हे की लकड़ियों से आग की लपटों की जगह धुएं ने उनकी आंखों की रोशनी भी कम कर दी है, बारिश के दिनों में कई बार तो सुबह-शाम रोटियां पकाना भी मुश्किल हो जाता था, लेकिन केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना ने धुएं में धीरे-धीरे छिनती रोशनी को बुढ़ापे में पूरी तरह जाने से बचा लिया है।

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केंद्र सरकार की ओर से उज्जवला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर के बाद अब बरसात के दिनों में भी रानी परिजनों को आसानी से खाना बनाकर खिला देती हैं, हालांकि वे सरकार की योजना का पूरी तरह लाभ नहीं ले पा रही हैं, क्योंकि परिवार की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण कभी सिलेंडर में दो किलो गैस भरवाती हैं तो कभी तीन किलो, लेकिन ये सही है कि बड़ी राहत मिली है। ये दृश्य है फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र के गांव सिघावाला की निवासी रानी कौर का। रानी खुद घरों में काम करती हैं, उनके पति मजदूरी करते हैं, तब छह सदस्यों वाले परिवार का गुजारा होता है। रानी बताती हैं कि वैसे तो बताया गया था कि फ्री में कनेक्शन दिया जा रहा है, लेकिन उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर, चूल्हा आदि देते समय उनसे दो हजार रुपये लिए थे, एक बार में पूरा सिलेंडर न भरवा पाने के कारण सब्सिडी का लाभ भी नहीं ले पा रही हैं।

मोगा विधानसभा क्षेत्र स्थित कोटकपूरा रोड स्थित दलित बस्ती की निवासी अमरजीत कौर ने घर के एक मात्र कमरे को दिखाते हुए बताया कि इसी कमरे में उनका जीवन एक साल पहले गुजरता था, धुएं के बीच लकड़ियों से खाना पकाया करती थीं, पूरा कमरा काला हो चुका है, लेकिन उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन मिल जाने के बाद अब बड़ी राहत मिलती है, हालांकि वे चूल्हा आज भी प्रयोग करती हैं, लेकिन चूल्हे पर सिर्फ पानी गर्म करती हैं, चूंकि आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी न होने के कारण सारा काम गैस सिलेंडर पर करना अमरजीत के परिवार के लिए संभव नहीं है। चड़िक रोड निवासी अमनदीप कौर ने बताया कि उज्जवला योजना में सात महीने पहले उन्हें गैस कनेक्शन तो मिल गया है, हालांकि गैस कनेक्शन देते समय उनसे 1700 रुपये लिए गए थे, अभी तक सात महीने में उन्होंने दो बार ही सिलेंडर भराया है, लेकिन सब्सिडी उनके खाते में नहीं मिली, गैस एजेंसी वाले का कहना है कि सब्सिडी उनके खाते में डाल दी है, लेकिन उन्हें नहीं मिली। धर्मकोट विधानसभा क्षेत्र के गांव किशनपुरा कलां की दलित बस्ती निवासी सुखदीप कौर का कहना है कि गैस कनेक्शन तो मिल गया है, कनेक्शन देते समय उन्हें बताया गया था कि फ्री में मिलेगा, लेकिन उनसे 1700 रुपये लिए गए थे, गैस कनेक्शन मिलने से राहत को मिली है, लेकिन पूरा सिलेंडर नहीं भरा पाती हैं, जरूरत के अनुसार जब पैसे होते हैं तो एक-दो किलो गैस ही भरवा पाती हैं, लेकिन पहले चूल्हे से आंखें खराब होती थीं, अब उससे राहत मिली है।

महिलाओं के साथ परिवार को मिली राहत

उज्ज्वला योजना का लाभ प्राप्त करने वाली सुरजीत कौर का कहना है कि दो साल पहले उन्हें योजना का लाभ मिला था, इससे पहले वे खेतों में लकड़ियां बीनकर लाती थीं, फिर घर में खाना बनाती थीं, लकड़ियों के कारण घर के बाहर की दीवार का एक हिस्सा पूरी तरह काला होकर संदेश दे रहा है कि किस तरह सालों से चूल्हे पर रोटियां पकाते हुए उनकी सांसों में जहर खुलता रहा है, जिसका सबूत उनके घर की दीवारों पर मौजूद है, सुरजीत कौर मानती हैं कि उज्ज्वला योजना से उन्हीं को नहीं पूरे परिवार को बड़ी राहत मिलती है, पहले तो वे घर का खाना पकाने का काम खुद करती थीं, गैस कनेक्शन मिल जाने के बाद अब छोटा-मोटा काम परिवार के दूसरे सदस्य भी कर लेते हैं। 1.90 लाख लोगों ने लिया योजना का लाभ

सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र के चार जिलों के सभी नौ विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 1.90 लाख लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत अब तक लाभ दिया जा चुका है। सरकारी दावों के अनुसार सब्सिडी लोगों के खाते में जा रही हैं, जबकि कड़वी सच्चाई ये है कि उज्ज्वला योजना में लाभ पाने वाले ज्यादातर परिवार किस्तों में सिलेंडर भरवाने के कारण उनके हिस्से की सब्सिडी किसी और की जेब में जा रही है।


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