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जीतने वालों ने नहीं ली सुध, सुध लेने वाले हार गए

मोगा फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र की राजनीति का मिजाज सूबे की अन्य सीटों की तुलना में अलग ही रहा है। 11 में से चार बार बादलों को चुनकर लोकसभा क्षेत्र में भेजा वे मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक रहे लेकिन फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाएं के लिए जूझ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 06:44 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 06:44 PM (IST)
जीतने वालों ने नहीं ली सुध, सुध लेने वाले हार गए
जीतने वालों ने नहीं ली सुध, सुध लेने वाले हार गए

सत्येन ओझा, मोगा : फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र की राजनीति का मिजाज सूबे की अन्य सीटों की तुलना में अलग ही रहा है। 11 में से चार बार बादलों को चुनकर लोकसभा क्षेत्र में भेजा वे मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक रहे, लेकिन फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाएं के लिए जूझ रहा है। किसी ने इस क्षेत्र के विकास की राह ही नहीं पकड़ी। लोकसभा क्षेत्र से संबंधित विधानसभा के लिए चुने जाते रहे जिन जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास की सुध ली, लेकिन अगले चुनाव में चुनावी दांव-पेंच नहीं चल सके, जिस कारण वे दोबारा चुनाव नहीं जीत सके। इनमें से पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके व 1967 में धर्मकोट से विधायक चुने गए लक्ष्मण सिंह गिल एवं पूर्व शिक्षा मंत्री जत्थेदार तोतासिंह का नाम प्रमुख है। तोतासिंह मोगा के साथ ही धर्मकोट से भी विधायक रह चुके हैं।

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गौरतलब है कि प्रकाश सिंह बादल फरीदकोट लोकसभा सीट के गठन के बाद पहली बार साल 1977 में यहां से चुनाव लड़े और जीते, बाद में सुखबीर सिंह बादल तीन बार फरीदकोट से लोकसभा पहुंचे। प्रकाश सिंह बादल पांच बार मुख्यमंत्री, सुखबीर सिंह बादल दो बार उप मुख्यमंत्री रहे, लेकिन क्षेत्र के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। साल 1967 में फरीदकोट लोकसभा की धर्मकोट विधानसभा सीट से विधायक बनकर बाद में मुख्यमंत्री बने लक्ष्मण सिंह गिल ने विकास की सुध ली थी। बाढ़ के बाद धुस्सी बांध गलत ढंग से बना दिए जाने के कारण मोगा जिले की लगभग 3000 एकड़ जगह सतलुज दरिया में चली गई थी, तब गिल ने बांध को ठीक कराने के लिए प्रयास किए थे, ताकि 3000 एकड़ जमीन को वापस किसानों को दिलाया जा सके, लेकिन एक साल बाद ही कांग्रेस का समर्थन वापस लेने के कारण सरकार चली गई और वो काम अधूरा रह गया।

इस काम को साल 2012 में धर्मकोट से विधायक बने जत्थेदार तोतासिंह ने आगे बढ़ाया था। योजना काफी हद तक आगे बढ़ गई थी। इसके साथ ही कोटईसे खां, धर्मकोट रोड पर टेक्निकल यूनीवर्सिटी कॉलेज बनवाया गया, लेकिन साल 2017 में चुनावी दांव-पेंच ऐसे बने कि जत्थेदार तोतासिंह दोबारा विधायक नहीं बन सके। धर्मकोट ही नहीं मोगा में ही यही रहा, साल 1997 से लेकर साल 2002 तक जब वे बादल सरकार में शिक्षा मंत्री रहे तब उन्होंने मोगा में सात मंजिला नया जिला प्रबंधकीय कॉम्पलेक्स का काम शुरू किया, कैप्टन सरकार आने के बाद इसे पांच मंजिल तक सीमित कर दिया था। स्पो‌र्ट्स स्टेडियम बनवाया, नया बस टर्मिनल बना, लेकिन बाद में चुनाव में जोगिदर पाल जैन के शहर की राजनीति में सक्रिय होने के बाद उनके दांव-पेंच के आगे जत्थेदार तोतासिंह चुनाव हारे ही नहीं, बल्कि उन्होंने अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर धर्मकोट चले गए थे। उसी धर्मकोट में विकास के नाम पर उदासीन रहने वाले शिअद के शीतल सिंह लगातार तीन बार विधायक रहे थे।

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