सुपरिटेंडेंट ने की मेयर के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत
सत्येन ओझा, मोगा : प्रॉपर्टी टैक्स के चेक वसूलकर लाए नगर निगम के एक सुपरिटेंडेंट ने मेयर पर दुर्
सत्येन ओझा, मोगा : प्रॉपर्टी टैक्स के चेक वसूलकर लाए नगर निगम के एक सुपरिटेंडेंट ने मेयर पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए शिकायत निगम कमिश्नर से की है।
सुपरिटेंडेंट की शिकायत अधिकारियों के व्हाट्एप ग्रुप में वायरल होने से पूरा मामला चर्चा का विषय गया है। निगम अधिकारियों में इस बात को लेकर आक्रोश का माहौल है, अगर उन्होंने वसूली के लक्ष्य पूरे नहीं किए तो उनकी एसीआर खराब हो सकती है, जिसका असर प्रमोशन पर भी पड़ेगा। वर्तमान में प्रॉपर्टी टैक्स की सालाना 3.5 करोड़ की वसूली के विपरीत अभी निगम 2.50 करोड़ की वसूली का भी आंकड़ा नहीं छू सका है।
वाटर टैक्स की लगभग दो करोड़ की वसूली में से अभी तक 1.20 करोड़ ही वसूला जा सकता है। लाइसेंस फीस वसूली की स्थिति बेहद खराब है। वित्तीय वर्ष खत्म होने में अब सिर्फ 40 दिन ही बाकी बचे हैं। उधर मेयर अक्षित जैन ने आरोपों को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा है कि सुपरिंटेंडेंट के आरोप बेबुनिया हैं।
निगम कमिश्नर अनीता दर्शी का कहना है कि अधिकारियों व मुलाजिमों के प्रमोशन व एसीआर में एंट्री लक्ष्य हासिल करने पर निर्भर होती है, अगर मुलाजिमों को वसूली से रोका गया तो इसका सीधा असर मुलाजिमों की प्रमोशन व उनके भविष्य पर पड़ेगा। निगम की ओर से कराए जा रहे विकास कार्य भी प्रभावित होंगे। नगर निगम के सुपरिंटेंडेंट बलजीत ¨सह ने निगम कमिश्नर को तीन दिन पहले फोन पर शिकायत करनी चाही, लेकिन निगम कमिश्नर ट्रे¨नग पर होने के कारण फोन नहीं उठा सकीं। बाद में सुपरिंटेंडेंट ने उनके व्हाट्सएप पर मेयर के खिलाफ शिकायत की कि प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने पर मेयर ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है। निगम सूत्रों का कहना है कि सुपरिंटेंडेंट पर दबाव डाला गया था वह प्रॉपर्टी टैक्स के जो दो चेक लेकर आया था उसे वापस करे और आगे से वसूली के लिए न जाय? ये है वसूली की स्थिति
निगम कमिश्नर अनीता दर्शी के अनुसार नगर निगम की इस समय करीब छह करोड़ की प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली बकाया है। साल 2018-19 के बजट में निगम ने प्रॉपर्टी टैक्स से लगभग साढ़े तीन लाख वसूली का लक्ष्य हासिल किया था, जिसमें से अभी वसूली का आंकड़ा 2.50 करोड़ तक भी नहीं पहुंचा है। वाटर टैक्स वसूली का लक्ष्य दो करोड़ का था, जिसमें से अभी 60 प्रतिशत ही वसूली हो सकी है। बनना होगा आत्मनिर्भर
निगम सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में केंद्र सरकार से निगम को जीएसटी का निर्धारित हिस्सा मिल रहा है, जिससे निगम के सभी खर्चे पूरे हो रहे हैं, लेकिन सरकार के साथ ये एग्रीमेंट पांच साल के लिए ही है। पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद जीएसटी निगम को मिलेगी या नहीं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, ऐसे में निगम के अपने आय के स्त्रोत बेहतर नहीं हुए शहर के विकास की पटरी ही उतर सकती है।
नियमों के विरुद्ध लीज बना निगम को लगाया 24 लाख का चूना
जीरा रोड पर साल-2013-14 में शहर के एक चिकित्सक ने प्रॉपर्टी टैक्स बचाने के लिए अपनी चिकित्सक पत्नी की मालिकी वाली जगह रिकार्ड में लीज पर अपने नाम करा ली। नगर निगम एक्ट में पत्नी अपने पति को जमीन लीज पर नहीं दे सकती है। इस प्रकार की लीज कोई करता है तो वह कानूनी रूप से गलत है, नगर निगम उक्त बि¨ल्डग से प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने का अधिकाीर है। निगम ने इस मामले में कानूनी राय मांगी थी, कानूनी राय में लीज को अवैध करा दिया है। निगम ने अब संबंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है।