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पराली भी नहीं जलाई और फसल से आमदन भी बढ़ाई

मोगा : सरकार की ओर से पराली न जलाने के आदेश के खिलाफ जाकर जहां राज्यभर में किसानों की ओर से पराली को आग लगाई जा रही है, वहीं बहोना रोड पर रहने वाले किसान गुरतेज सिंह जहां पराली जलाए बिना जहां गेहूं की फसल बीज रहे हैं

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 04:16 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 04:16 PM (IST)
पराली भी नहीं जलाई और फसल से आमदन भी बढ़ाई
पराली भी नहीं जलाई और फसल से आमदन भी बढ़ाई

राज कुमार राजू, मोगा : सरकार की ओर से पराली न जलाने के आदेश के खिलाफ जाकर जहां राज्यभर में किसानों की ओर से पराली को आग लगाई जा रही है, वहीं बहोना रोड पर रहने वाले किसान गुरतेज सिंह जहां पराली जलाए बिना जहां गेहूं की फसल बीज रहे हैं, वहीं अन्य किसानों को भी पराली को न जलाकर पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

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किसान गुरतेज ¨सह ने बताया कि उनके पास आठ एकड़ खेती योग्य जमीन है। वह अपने दोनों बेटों के साथ अपने पूर्वजों के समय से खेती करते आ रहे हैं, लेकिन दिन-ब-दिन दूषित हो रहे वातावरण को लेकर वह धान और गेहूं के अवशेष को बिना जलाए खेतों में फसल की बिजाई करते हैं। ऐसा करने से खेतों में फसलों के लिए फायदेमंद कीड़े भी जीवित रहते हैं, जिनके कारण फसल अच्छी और झाड़ भरपूर होता है। किसान गुरतेज ¨सह ने बताया कि वह समय-समय पर बिजाई होने वाली फसल के दौरान अपने आसपास के किसानों को भी बिना फसल के अवशेष जला बिजाई करने के लिए प्रेरित करते हैं। जिसको लेकर उनके भाइयों द्वारा भी उनकी प्रेरणा से प्रेरित होकर फसल की बिजाई की जाती है।

किसान ने बताया कि एक तो आजकल पेड़ों की संख्या पहले की भांति बहुत ही कम हो गई है। वहीं खेतों में पराली जलाने से पेड़-पौधे भी जल जाते हैं। इसलिए उनका प्रयास रहता है कि खेतों में आग न लगा कर पेड़ पौधों को भी बचा सकूं। पराली को खेत में मिला, पर्यावरण को बचाएं किसान : गुरतेज सिंह

गुरतेज ¨सह का कहना है कि आजकल लगभग हर तीसरे आदमी को किसी ना किसी बीमारी ने अपनी चपेट में लिया हुआ है, जिसका मुख्य कारण दूषित वातावरण है। ऐसे में उनका प्रयास है कि वह खेतों में अवशेष को न जला कर वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की कि पराली को न जलाकर पर्यावरण को बचाने में योगदान दें।

खाद का प्रयोग होता है कम

किसान गुरतेज ¨सह ने कहा कि पराली को खेत में मिलाकर फसल बीजने के उपरांत पैदावार तो बढ़ती ही है। वही फसल पर खाद का प्रयोग भी पूर्व की भांति कम होता है। ऐसा करने से फसल भी अच्छी होती है,तथा खाद का खर्चा भी बच जाता है। सरकार को करना होगा जागरूक

किसान ने बताया कि वैसे तो समय समय पर सरकार व जिला प्रशासन किसानों को गेंहू व धान की पराली को आग न लगाने की बात कहती है। फिर भी किसान अपनी मजबूरी के चलते पराली को आग लगाते है। उन्होंने कहाकि सरकार को किसानों के लिए सस्ते खेती योग्य उपकरण मुहैया करवाकर पराली को आग न लगाने के लिए जागरूक करना होगा।


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